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हरि आई हास्पिटल ट्रस्ट के डीएम ही बने रहेंगे रिसीवर

संवाद सहयोगी, हाथरस : हरि आई हास्पिटल ट्रस्ट प्रकरण में जिला न्यायाधीश ने अपने निर्णय में

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Nov 2017 01:24 AM (IST)Updated: Sat, 04 Nov 2017 01:24 AM (IST)
हरि आई हास्पिटल ट्रस्ट के 
डीएम ही बने रहेंगे रिसीवर
हरि आई हास्पिटल ट्रस्ट के डीएम ही बने रहेंगे रिसीवर

संवाद सहयोगी, हाथरस : हरि आई हास्पिटल ट्रस्ट प्रकरण में जिला न्यायाधीश ने अपने निर्णय में दाखिल प्रार्थना पत्र 17 ग व 26 ख को अस्वीकार करते हुए कहा है कि मूल वाद में दिए गए निर्णय का प्रभाव एवं क्रियान्वयन वर्तमान में स्थगित नहीं है। जिसके चलते ट्रस्ट के रिसीवर को प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल पर न कोई प्रतिबंध है और न ही उन्हें ट्रस्ट के रिसीवर पद से मुक्त किए जाने का कोई औचित्य अथवा विधिक आवश्यकता है।

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न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि प्रतिवादी विनोद उपाध्याय के अधिवक्ता ने प्रार्थना पत्र देकर यह याचना की है कि उच्च न्यायालय में विचाराधीन प्रथम अपील में पारित आदेश के अनुक्रम में इस न्यायालय में योजित किए गए प्रकीर्ण वाद व इजराय वाद की कार्रवाई को स्थगित कर मूल वाद संख्या 1/2006 में पारित निर्णय एव डिक्री 31 मई 2010 के क्रियान्वयन को स्थगित किया जाए और जिलाधिकारी को रिसीवर पद से मुक्त किया जाए। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट व हाईकोर्ट के विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए कहा है कि अपील खंडित होने पर अंतरिम/स्थगनादेश 10 जून 2010 के वैकेट किए जाने के फलस्वरूप अब प्रभावी नहीं रह गया है। पूर्व के विभिन्न आदेशों का हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा है कि किसी मूल वाद के रीस्टोर किए जाने के उपरांत ऐसे मूल वाद में पूर्व में पारित अस्थाई निषेधाज्ञा के अंतरिम आदेश स्वत: ही पुनर्जीवित नहीं होते। ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने अधीनस्थ न्यायालयों को निर्देश दिए हैं कि मूलवादों के अदम पैरवी में खंडित करते समय ऐसे वादों में पारित अंतरिम आदेशों को वैकेट करने के विशिष्ट आदेश पारित करें। इस मामले में भी हाईकोर्ट ने अपील को खंडित किए जाते समय अंतरिम आदेश को वैकेट करने के आदेश विशिष्ट रूप से पारित किए हैं। जिसके चलते जिला न्यायाधीश ने प्रार्थना पत्रों को अस्वीकार करते हुए जिलाधिकारी को ही रिसीवर बनाए रखने का निर्णय दिया है।


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