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20 साल बाद भी विज्ञान की पढ़ाई से वंचित

सिकंदराराऊ में एटा रोड पर 20 साल पहले हुई थी महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय की स्थापना वस्तुस्थिति राजकीय महाविद्यालय में बीएससी व एमएससी की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं मात्र दो विषयों में एमए की मान्यता 19 में से मात्र नौ पदों पर नियुक्ति

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Nov 2019 12:32 AM (IST)Updated: Wed, 20 Nov 2019 12:32 AM (IST)
20 साल बाद भी विज्ञान की पढ़ाई से वंचित
20 साल बाद भी विज्ञान की पढ़ाई से वंचित

संवाद सूत्र, हाथरस : विज्ञान और तकनीक के युग में भी सिकंदराराऊ क्षेत्र के बच्चे उच्च शिक्षा में विज्ञान की पढ़ाई से वंचित हैं। कस्बे के महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय में स्थापना के 20 साल बाद भी विज्ञान की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं हो पाई। जो साधन-संपन्न हैं वे अपने बच्चों को दूसरे शहरों में भेज देते हैं मगर गरीब तबके के विद्यार्थी मन मसोसकर रह जाते हैं।

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महाविद्यालय की स्थापना : यहा के छात्र-छात्राओं को उच्च शिक्षा पाने के लिए पहले दूसरे शहरों की ओर जाना पड़ता था। वर्ष 1998 में तहसील मुख्यालय से एटा रोड पर तीन किलोमीटर दूर ग्राम बमनहार के पास महाराणा प्रताप राजकीय महाविद्यालय स्थापित किया गया। कॉलेज में कॉमन रूम, गृह विज्ञान प्रयोगशाला, कंप्यूटर सेंटर कक्ष व आठ व्याख्यान कक्ष हैं। राष्ट्रीय सेवा योजना कक्ष, रोवर्स रेंजर्स व खेल मैदान की सुविधा भी है। महाविद्यालय में कुल 19 पद सृजित किए गए थे, जिनमें से वर्तमान में चपरासी समेत कुल नौ पदों पर नियुक्तिया हैं। अन्य पद रिक्त हैं। 10 प्राध्यापक की तुलना में छह प्राध्यापक हैं। छात्र-छात्राओं की संख्या भी महज 148 रह गई है।

कोर्स की सुविधा : महाविद्यालय की स्थापना से ही डॉ.बीआर आंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा से कला संकाय के अंतर्गत बीए तथा बीकॉम पाठ्यक्रमों को मान्यता दी गई। विश्वविद्यालय से अस्थायी मान्यता पर वर्तमान सत्र 2019- 20 में कला संकाय के अंतर्गत एमए समाजशास्त्र व अंग्रेजी विषय की स्नातकोत्तर कक्षाएं संचालित की जा रही हैं। दो दशक से अधिक समय बीतने के बावजूद बीएससी की कक्षाएं तक संचालित न होने से कॉलेज में छात्र संख्या में गिरावट आ रही है। छात्र-छात्राएं बीएससी की शिक्षा के लिए प्राइवेट कॉलेजों व दूसरे शहरों के कालेजों पर निर्भर हैं। कॉलेज प्रशासन ने विज्ञान संकाय की स्थापना के संबंध में एस्टीमेट बनाकर प्रस्ताव शासन को भेजा था, मगर अभी तक इस ध्यान नहीं दिया गया। विज्ञान संकाय की कक्षाएं संचालित करने के लिए 12 प्रवक्ता, पाच प्रयोगशाला सहायक व पाच प्रयोगशाला की आवश्यकता होगी।

सफाई का हाल : कालेज परिसर में घनी झाड़िया हैं। पूरे कॉलेज परिसर की सफाई भी नियमित नहीं हो पाती है।

बेटियों की मुश्किल : विज्ञान में रुचि रखने वाले युवक तो जिला मुख्यालय अथवा दूसरे शहरों में जाकर पढ़ाई कर लेते हैं मगर बेटियों के लिए यह आसान नहीं है। ज्यादातर परिवार बेटियों को पढ़ाई के लिए बाहर भेजने में हिचकिचाते हैं। छात्राओं की पीड़ा

प्राइवेट कॉलेजों में फीस काफी महंगी होती है। सरकारी कॉलेज में सभी जरूरी कोर्स होंगे तो क्षेत्र के छात्र-छात्राओं को सुविधा रहेगी।

-अर्चना 20 वर्ष के लंबे समय बाद भी इस कॉलेज में बीएससी, एमएससी की कक्षाएं संचालित न होना चिंताजनक बात है। शासन को ध्यान देना चाहिए।

-अनम छात्राओं के हित को ध्यान में रखकर विज्ञान और तकनीक की शिक्षा पर विषेष ध्यान देने की जरूरत है। इस कॉलेज में अन्य पाठ्यक्त्रम भी बढ़ाए जाएं।

नीरू शर्मा जिले के जनप्रतिनिधियों को इस कॉलेज के बारे में सोचना चाहिए और सभी प्रकार के कोर्स उपलब्ध कराने की पहल करनी चाहिए।

चादनी वाष्र्णेय इनका कहना है

कॉलेज में एमए, एमएससी और बीएससी की कक्षाएं शुरू कराने तथा विज्ञान व कला संकाय के निर्माण और स्टाफ की तैनाती के बारे में कई बार मागपत्र शासन को भेजे गए, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिल सकी है।

-डॉ.योगेंद्र सिंह, प्राचार्य

सरकारी फीस पर बीएससी

का एक मात्र महाविद्यालय

संस, हाथरस : जिले में एकमात्र सरस्वती महाविद्यालय में ही सरकारी फीस पर बीएससी करने की सहूलियत मिलती है। हर साल इस महाविद्यालय में बीएससी प्रथम वर्ष में दाखिला लेने के लिए मारामारी रहती है। इस महाविद्यालय में बीएससी की फीस महज 29 सौ रुपये है, जबकि अन्य महाविद्यालयों में आठ हजार रुपये से अधिक फीस प्रथम वर्ष में ली जाती है। महाविद्यालय में बीएससी गणित के दो व बॉयोलॉजी का एक सेक्शन है। गणित में 140 व बॉयो में 70 सीट निर्धारित हैं। सर्वोच्च मेरिट वाले विद्याíथयों को ही दाखिला मिल पाता है। शहर के प्रमुख बागला महाविद्यालय में स्नातक वर्ग के बीकॉम और बीए प्रथम वर्ष में सरकारी फीस पर प्रवेश होता है, जबकि बीएससी संकाय सेल्फ फाइनेंस है, जिसमें आठ हजार रुपये प्रति वर्ष फीस ली जाती है।


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