प्रवर्तन दल की कार्रवाई का 15 महीने का रिकॉर्ड मांगा
फर्जी चालक-परिचालक कांड की जांच में होगा सम्मिलित रोडवेज घोटाला -रिकॉर्ड जुटाने के लिए रविवार को भी खुले रहे कार्यालय, खलबली -राज्य परिवहन निगम कभी भी आ सकता है एक्शन के मोड में
संवाद सहयोगी, हाथरस : रोडवेज में संचालित गिरोह को शह देने वाले अधिकारी व कर्मचारियों की शामत आने वाली है। परिवाद पर चल रही जांच पूरी हो चुकी है। परिवहन निगम कभी भी एक्शन मोड में आ सकता है। अब नवागत प्रधान प्रबंधक (कार्मिक) अतुल भारती ने सभी डिपो के एआरएम से प्रवर्तन दल द्वारा की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है। सोमवार तक यह ब्योरा मुख्यालय में उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
हाल ही में प्रधान प्रबंधक कार्मिक बदले गए हैं। पूर्व परिचालक पंकज लवानिया के परिवाद में पुराने प्रधान प्रबंधक का भी नाम शामिल था। चर्चा है कि इसी कांड के चलते इस पद पर बदलाव किया गया है। तैनाती होते ही प्रधान प्रबंधक कार्मिक अतुल भारती हरकत में आ गए हैं। 15 सितंबर को सभी एआरएम के लिए पत्र जारी कर उन्होंने एक अप्रैल 2017 से 30 जून 2018 तक प्रवर्तन दल द्वारा की गई कार्रवाई का ब्योरा मांगा है। 20 जुलाई को भी मुख्यालय ने रिकॉर्ड मांगा था, लेकिन कई जगह के अधिकारियों ने होशियारी दिखाते हुए आधी-अधूरी जानकारी मुख्यालय को उपलब्ध करा दी थी। इस पर नाराजगी जताते हुए प्रधान प्रबंधक ने फिर से पूरी जानकारी 17 सितंबर तक उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। दो दिन के अंदर रिकॉर्ड मंगाने की जानकारी मिलते ही हाथरस डिपो में खलबली मच गई। इसके लिए रविवार को भी दफ्तर खोला गया और पिछले 15 महीने के रिकॉर्ड एकत्रित किए गए।
पंकज लवानिया ने सुबह से दोपहर दो बजे का समय अपनी शिकायत में अंकित किया है। उनका आरोप है कि इस समयावधि में गिरोह सबसे अधिक सक्रिय रहता था। यह बात प्रवर्तन दल के अधिकारी भी जानते थे। इसलिए इस बीच बसों की चे¨कग नहीं की जाती थी। मांगे गए रिकॉर्ड में इसी की समीक्षा की जाएगी। डीवीडी की होगी
फॉरें¨सक जांच
हाथरस : शिकायतकर्ता पंकज लवानिया ने परिवाद में 100 पेज की शिकायत के साथ-साथ चार डीवीडी भी जांच टीम को उपलब्ध कराई है। इस डीवीडी में हाथरस, अलीगढ़ व मथुरा में सक्रिय रहे गिरोह की सारी गतिविधियां कैद हैं। ट्रे¨नग देने से लेकर फर्जी चालक-परिचालकों के बस में चलने तक सब चीजें रिकॉर्ड हैं। जांच टीम इन डीवीडी की फॉरे¨सक जांच करा रही है, जिससे साबित हो सके कि डीवीडी से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है।