चाकलेट, नमकीन और गिफ्ट का बढ़ा चलन
रक्षाबंधन पर सुबह से ही मिठाई की की दुकानों पर लगी रही भीड़ कोरोना काल में भी निभाई गई सोहगी देने व बूराखाने की परंपरा
संवाद सहयोगी, हाथरस : रक्षाबंधन का पर्व घेवर व बूरा के बिना फीका रहता है। सोमवार को दोपहर बाद तक शहर से लेकर देहात तक मिठाइयों की दुकानों पर घेवर लेने के लिए भीड़ उमड़ती रही। प्रमुख दुकानों पर सुबह ही घेवर नहीं होने के बोर्ड लग गए। अन्य दुकानों पर भी शाम होते होते घेवर समाप्त होने पर नमकीन, चाकलेट, मेवा आदि के अलावा गिफ्ट पैक की खरीदारी की गई।
रक्षाबंधन ससुराल में बूरा खाने की परंपरा का निर्वहन काफी पुराना रहा है। नवविवाहित जोड़े पहली बार ससुराल बूरा खाने के लिए अवश्य जाते हैं। रक्षाबंधन पर पहली बार ससुराल जाने का उत्साह भी लोगों में देखने लायक होता है। ससुराल सोहगी लेकर जाते हैं। इसमें सुहाग का सामान होने के साथ पटरी, झूला आदि होता है। ससुराल पहुंचने पर लोगों की खूब आवभगत की गई। सहपऊ के बूरे की मांग आज भी आसपास के जिलों में होती है।
रविवार देर रात तक दुकानों पर घेवर की बिक्री होती रही। जिन दुकानों पर घेवर खत्म हो गया था, वहां सोमवार की सुबह जल्दी ही कारीगर पहुंच गए और घेवर बनाने में जुट गए। दोपहर तक दुकानों पर घेवर की खरीदारी करने के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती रही। घेवर खत्म होने पर लोगों ने अन्य मिठाई के साथ नमकीन, चाकलेट, ड्राइफ्रूड आदि के पैकेट खरीदे। देहात में भी पर्व का उल्लास
सिकंदराराऊ, सादाबाद, सासनी, सहपऊ, मुरसान आदि कस्बों में भी रक्षाबंधन का उल्लास था। रिश्तेदारियों में जाने के लिए यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। सासनी, हसायन व पुरदिलनगर में भी घेवर आदि मिठाई के लिए दुकानों पर भीड़ थी। वाहनों में भीड़ के चलते यात्रियों को दिक्कतें झेलनी पड़ीं।