हाथरस पुलिस की कार्रवाई पर सीबीआइ की मुहर
सच का सामना बूलगढ़ी कांड में गांव के ही चारों लोग भेजे थे पुलिस ने जेल 15 सदस्यीय सीबीआइ ने 67 दिन बाद दाखिल की चार्जशीट
जागरण संवाददाता, हाथरस: जिस पुलिस पर बूलगढ़ी की मृतका के स्वजन को भरोसा नहीं था, उसी पुलिस की कार्रवाई पर सीबीआइ ने पूरे 67 दिन हाथरस में रहकर तफ्तीश कर मुहर लगा दी और कोर्ट में उन्हीं चारों आरोपितों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी, जिनको चंदपा पुलिस ने जेल भेजा था।
बूलगढ़ी कांड को तीन महीने से अधिक हो गए। 14 सितंबर को युवती पर बूलगढ़ी के एक खेत में तब हमला बोला गया था जब वह मां के साथ चारा लेने गई थी। 29 सितंबर को मौत के बाद मृतका के स्वजन की तहरीर पर गांव के चार लोगों को पुलिस ने तब जेल भेज दिया था। हालांकि पुलिस की कार्रवाई पर आरोपितों के स्वजन ने सवाल उठाए थे और कहा था कि उनके बच्चे बेकसूर हैं। इस मामले में भले ही एसआइटी के बाद चाहे देश की सबसे बड़ी एजेंसी सीबीआइ जांच कर ले। मृतका के स्वजन की मांग पर सीबीआइ ने जांच भी शुरू कर दी। सीबीआइ ने इस दौरान न सिर्फ मौका ए वारदात देखा बल्कि चितास्थल देखने के बाद 50 से अधिक बार गांव बूलगढ़ी जाकर मृतका और आरोपितों के स्वजन से पूछताछ की थी। कई बार जेल जाकर भी चारों आरोपितों से न सिर्फ पूछताछ की बल्कि गुजरात ले जाकर पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया। इस मामले की गहराई से सीबीआइ की टीम ने तफ्तीश की। साक्ष्यों और जांच के आधार पर सीबीआइ ने चारों आरोपितों को दोषी मानते हुए चार्जशीट दाखिल की है। लेटर बम से आया था नया मोड़
सीबीआइ जांच के दौरान इस मामले में एक नया मोड़ उस समय आया था जब चारों आरोपितों ने अलीगढ़ जेल से जेलर के माध्यम से एक पत्र जारी किया था। एसपी के नाम लिखे पत्र में कहा गया था कि वे निर्दोष हैं। यह भी बात सामने आई थी कि मृतका और एक आरोपित की फोन से बात भी होती थी। कॉल डिटेल रिपोर्ट (सीडीआर) में सौ से अधिक बार बात होना भी दर्शाया गया था। इस रिपोर्ट को मृतका के स्वजन ने साजिश बताया था।