शहर से गांव तक मुसीबत बने मवेशी
कमल वाष्र्णेय, हाथरस : आवारा पशुओं का आतंक दिन-पर- दिन बढ़ता जा रहा है। पिछले दो महीने में कई
कमल वाष्र्णेय, हाथरस :
आवारा पशुओं का आतंक दिन-पर- दिन बढ़ता जा रहा है। पिछले दो महीने में कई लोगों की जान जा चुकी है तथा बड़े हादसे होने से टले हैं। दिन हो या रात गली, सड़क व यहां तक कि रेलवे लाइन पर भी आवारा पशु घूमते मिल जाते हैं। सड़कों पर मवेशियों के कारण आए दिन दुर्घटनाएं हो रही हैं। यह समस्या देश भर में लगभग हर जगह है, लेकिन इसके लिए प्रशासन व जनप्रतिनिधियों पर कोई योजना नहीं है। जिले में एक भी ऐसी गोशाला नहीं है, जहां आवारा पशुओं को रखा जा सके। कोई इंतजाम न होने के कारण घुमंतू जानवरों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
दो महीने में तीन मौतें
आवारा पशुओं के कारण एक महीने के भीतर तीन लोग जान से हाथ धो बैठे। 28 अगस्त 2018 को सादाबाद के राया रोड पर सांड़ ने वृद्ध मूलचंद्र (75) निवासी प्रकाश नगर, मुरसान रोड (सादाबाद) को रौंद दिया था। मूलचंद्र बाजार से लौट रहे थे। सांड़ का सींग उनके पेट में घुस गया था। आगरा में उपचार के दौरान उनकी मृत्यु हो गई थी। आठ सितंबर को गांव रहना में शंकरलाल दीक्षित (68) शाम को खेत पर जा रहे थे। रास्ते में सांड़ ने उन पर हमला कर दिया। उन्हें कई बार उठाकर पटका, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। 16 सितंबर को सासनी के कोतवाली चौराहा पर मलखान (22) पुत्र कालीचरन पर गायों के झुंड ने हमला कर दिया। इस हमले में मलखान की मौत हो गई थी।
ट्रेनों के लिए खतरा :
केवल सड़क पर चलने वाले वाहनों के लिए नहीं, बल्कि ट्रेनों के लिए भी आवारा मवेशी बड़ा खतरा बनते जा रहे हैं। गुरुवार की सुबह कासगंज-आगरा फोर्ट पैसेंजर गायों के झुंड के कारण दुर्घटनाग्रस्त होने से बची। तालाब चौराहा के पास अचानक काफी मवेशी रेलवे ट्रैक पर आ गए थे। इसपर चालक को इमरजेंसी ब्रेक लगानी पड़ी थी। इमरजेंसी ब्रेक के कारण इंजन में खराबी आ गई थी। पिछले सप्ताह एक सांड़ मथुरा रोड पर रेलवे ट्रैक पर फंस गया था। दोनों ओर दीवार होने के कारण सांड़ निकल नहीं सका था। मथुरा-कासगंज पैसेंजर ट्रेन सांड़ से टकरा गई थी। यहां भी ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होने से बची थी। इसी तरह उत्तर मध्य रेलवे के दिल्ली-हावड़ा ट्रैक पर भी मवेशियों के कारण रेल दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। इस व्यस्ततम ट्रैक पर कई बार शताब्दी व अन्य सुपर फास्ट ट्रेनों के इंजन मवेशियों की टक्कर से खराब हो चुके हैं। रोज दुर्घटनाग्रस्त होते हैं मवेशी
सड़कों पर घूम रहे आवारा पशु केवल लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी जान भी जोखिम में डालते हैं। पशु पालक दूध दुहकर गायों को दिनभर चरने के लिए छोड़ देते हैं। सड़क जानवरों को खुली जगह लगती है तथा गुजरते वाहनों से हवा आती है। इसलिए ये रात में सड़कों पर बैठ जाते हैं, जिससे आए दिन दुर्घटनाएं होती हैं। जिले में रोजाना पांच से छह दुर्घटनाओं का औसत है, जिनमें मवेशी घायल होते हैं। बढ़ती दुर्घटनाओं को देखते हुए ही बालाजी गौ सेवा समिति ने इगलास रोड पर जिले का पहला गऊ अस्पताल बनाया है। सरकार को घेरा :
कांग्रेस के पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद गुरुवार को हाथरस आए थे। प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान उन्होंने केंद्र व प्रदेश सरकार को आवारा पशुओं के मुद्दे पर भी घेरा था। उनका कहना था कि सरकार ने चुनाव में आवारा पशुओं के लिए गोशाला बनाने के दावे किए थे। पशु बदहाली से गुजर रहे हैं, रोज मर रहे हैं। पर इनके लिए कोई व्यवस्था नहीं हुई।