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0.30 केलिबर पिस्टल से चली थीं गोलियां

-लक्ष्मण की हत्या में एसएलआर या कारबाइन का नहीं हुआ प्रयोग -भीमा गिरोह को उपलब्ध कराता है प्रतिबंधित बोर के हथियार

By JagranEdited By: Published: Wed, 16 Jan 2019 07:06 AM (IST)Updated: Wed, 16 Jan 2019 07:06 AM (IST)
0.30 केलिबर पिस्टल से चली थीं गोलियां
0.30 केलिबर पिस्टल से चली थीं गोलियां

जागरण संवाददाता, हाथरस : लक्ष्मण की हत्या में 9 एमएम के अलावा 7.62 एमएम के कारतूस खोल घटना स्थल से बरामद हुए थे। 7.62 एमएम (0.30 केलिबर) के कारण बड़े ऑटोमेटिक वैपन के प्रयोग की आशंका जताई जा रही थी, लेकिन भोला से हुई पूछताछ में ऐसा नहीं निकला है। इसी बोर की सेमी-ऑटोमेटिक पिस्टल का इस्तेमाल भीमा ने किया था तथा ताबड़तोड़ गोलियां बरसाई गई थीं।

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घटना स्थल से पुलिस ने 7.62 एमएम के कारतूस खोल काफी संख्या में बरामद किए थे। इस डायमीटर का कारतूस एके-47 से लेकर एसएलआर, कारबाइन, पिस्टल आदि खतरनाक हथियारों में प्रयोग होता है। बस हथियार के अनुसार कारतूस व खोल की लंबाई बढ़-घट जाती है। लक्ष्मण की हत्या में बरामद खोल छोटे थे। इसलिए एक बार को कारबाइन की भी आशंका जताई जा रही थी। भोला के पकड़े जाने के बाद स्थिति साफ हो गई। 7.62 एमएम डायमीटर का कारतूस 0.30 केलिबर (30 बोर) पिस्टल में प्रयोग होता है। एसपी के अनुसार हैंडगन की श्रेणी में यह पिस्टल सबसे खतरनाक मानी जाती है तथा शॉर्प शूटर इसका प्रयोग बेहतर समझते हैं। इस हत्याकांड में भीमा ने इसी पिस्टल का प्रयोग किया है। कई कारतूस बरामद होने के कारण एक से अधिक 0.30 केलिबर पिस्टल होने की आशंका जताई जा रही है। भीमा उपलब्ध कराता है हथियार

एसपी सिद्धार्थ शंकर मीना ने बताया कि भीमा कुख्यात है तथा वह कई हत्याकांड में शामिल रहा है। ब्रजेश मावी हत्याकांड में वह पिछले चार साल से फरार है। मथुरा पुलिस ने उस पर 10 हजार रुपये का इनाम घोषित कर रखा है। इसके अलावा उसके सुपारी किलर होने की भी जानकारी मिली है। उसी ने प्रतिबंधित बोर की पिस्टल व कारतूस का इंतजाम किया था। एसपी ने बताया कि भीमा के कई बड़े गिरोह से ¨लक हैं, जिनके बारे में उसके पकड़े जाने के बाद पता चलेगा। हत्या करने के बाद

गंगा नहाया था भीमा

लक्ष्मण को मौत के घाट उतारने के बाद हमलावर लहरा गांव होते हुए इगलास भागे थे। एसपी के अनुसार गिरफ्तार भोला का रिश्तेदार धीरेंद्र प्रताप उर्फ पम्मी ने भागने में मदद की। वह फोन पर इनके संपर्क में था तथा रास्ता बता रहा था। हमलावर अलग-अलग दिशा में भागे थे। भोला इगलास में ही छिप गया था, जबकि भीमा पहलवान इगलास से खुर्जा गया और फिर वहां से हापुड़ के गढ़-मुक्तेश्वर पहुंचा। वहां गढ़ गंगा स्नान किया तथा वहीं समय काटा था। पुलिस भीमा को तलाशते हुए वहां भी पहुंची थी। अब पुलिस का फोकस पूरी तरह भीमा पर है। हत्या से 15 दिन पहले

खरीदी गई थी कार

डेढ़ साल पहले हमला होने के कारण भोला स्कार्पियो कार में ही चलता था तथा पांच-छह लड़के साथ रखता था। लक्ष्मण की हत्या के लिए कम से कम दो गाड़ी की आवश्यकता थी। इसके लिए भोला ने हत्या से 15 दिन पहले ही स्विफ्ट कार खरीदी थी। यूपी 81 एडब्ल्यू 8282 नंबर की कार प्रदीप कुमार निवासी पंडितान नया अस्पताल, किला खेड़ा, इगलास के नाम से है। एसपी ने बताया कि भोला ने कुछ दिन बाद गाड़ी नाम कराने का आश्वासन देकर गाड़ी ले ली थी। फिलहाल पुलिस गाड़ी मालिक की भूमिका भी जांच कर रही है।


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