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एक वर्ष तक रहेगी ईंट भट्ठों की हड़ताल

एक वर्ष के लिए ईंट भट्ठों की रहेगी हड़ताल

By JagranEdited By: Published: Fri, 26 Aug 2022 04:03 AM (IST)Updated: Fri, 26 Aug 2022 04:03 AM (IST)
एक वर्ष तक रहेगी ईंट भट्ठों की हड़ताल
एक वर्ष तक रहेगी ईंट भट्ठों की हड़ताल

एक वर्ष तक रहेगी ईंट भट्ठों की हड़ताल

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जागरण संवाददाता, हाथरस : विभिन्न समस्याओं और मांगों पर केंद्र और राज्य सरकार की बेरुखी से आहत ईंट भट्ठा मालिकों ने एक साल तक हड़ताल का एलान कर दिया है। अखिल भारतीय ईंट एवं टाइल्स निर्माता फेडरेशन नई दिल्ली एवं उत्तर प्रदेश ईंट निर्माता समिति लखनऊ के संयुक्त तत्वावधान में गुरुवार को हाथरस में हुए अधिवेशन में अगले सत्र में हड़ताल का निर्णय लिया गया। भट्ठा स्वामियों ने जीएसटी कंपोजीशन स्कीम लागू करने, कोयले की कालाबाजारी बंद कराने व सरकारी कार्यों में फ्लाई ऐश से बनी ईंटों की अनिवार्यता खत्म कर लाल ईंट के उपयोग के आदेश जारी करने समेत कई मांगें रखीं। मांगें पूरी नहीं होने पर आगामी सीजन 2022-23 में ईंट भट्ठा बंद रखे जाएंगे।

शहर में आगरा रोड स्थित अग्रवाल सेवा सदन में आयोजित अधिवेशन में यूपी और दूसरे राज्यों के भट्ठा स्वामी और एसोसिएशन के पदाधिकारी सम्मिलित हुए। अखिल भारतीय ईंट टाइल्स निर्माता महासंघ के महामंत्री ओमवीर सिंह भाटी, उ.प्र. ईंट निर्माता समिति के मुख्य संरक्षक विजय गोयल व समिति के महामंत्री गोपी श्रीवास्तव ने ईंट भट्ठा मालिकों की समस्याओं को उठाया। उन्होंने कहा कि लाल ईंट की बिक्री में जीएसटी कंपोजीशन स्कीम के तहत थ्रेसहोल्ड लिमिट 40 लाख से घटाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है, जबकि देश के अन्य उत्पादकों के लिए यह लिमिट 40 लाख रुपये है। इसलिए लाल ईंट की बिक्री में थ्रेसहोल्ड लिमिट 40 लाख रुपये की जाए। वर्ष 2020-21 में कोयले की कीमत आठ से नौ हजार रुपये टन थी। यह 2022 में 18 से 20 हजार रुपये प्रति टन हो गया। इसकी कालाबाजारी बंद कर भट्ठा मालिकों को सस्ती दरों पर कोयला उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया जाए। मिट्टी खनन के नाम पर प्रशासनिक अधिकारी उत्पीड़न करते हैं। इन्हीं मांगों को लेकर पदाधिकारियों ने अगले सत्र में ईंट-भट्ठों की हड़ताल की चेतावनी दी। हाथरस जिला ब्रिक क्लिन एसोसिएशन के अध्यक्ष मुकेश दीक्षित और प्रदेश उपाध्यक्ष व जिला महामंत्री कमल गोयल ने हड़ताल को देशव्यापी सफलता के लिए सभी से सहयोग की अपील की। अधिवेशन को दूसरे जनपदों से आए जयकरन गुप्ता, दिलीप चंद वशिष्ठ, ब्रजमोहन गुप्ता सहित कई पदाधिकारियों ने संबोधित किया। अधिवेशन में दिल्ली, मेरठ, फिरोजाबाद, आगरा, बुलंदशहर, गाजियाबाद, फरीदाबाद शहरों से ईंट भट्ठा कारोबार से जुड़े कारोबारियों ने सहभागिता की।

जिग-जैग से दूर रखे जाएं ईंट भट्ठे

समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि जिग-जैग तकनीक में भट्ठों को परिवर्तित करने और भट्ठों की चौड़ाई व उत्पादन क्षमता निर्धारित करने के निर्देश केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से मिले हैं। दोनों आदेशों का पालन करना असंभव है। उन्होंने लाखों रुपये के खर्चे वाली जिग-जैग योजना कोर्ट का उचित निर्णय आने तक बंद रखने और लाल ईंट भट्ठों के लिए श्रम कानून सरल बनाने मांग सरकार से की है।

स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं फ्लाई ऐश से बनी ईंटें

अधिवेशन में वक्ताओं ने कहा कि फ्लाई ऐश ईंट की अवधि 20-25 साल और लाल ईंट की सैकड़ों वर्ष होती है। फ्लाई ऐश ईंट रेडियोधर्मी पदार्थों से बने होने के कारण दमा, कैंसर जैसी घातक बीमारियों का कारण बनती है। उन्होंने ईंट भट्ठा मालिकों को जेसीबी से खनन करने की अनुमति प्रदान करने और उनकी सभी मांगों को जल्द पूरा करने का अनुरोध सरकार से किया।

एक घंटे में छह हजार ईंट निकालती है मशीन

जागरण संवाददाता, हाथरस : ईंट बनाने के लिए भी अब मशीन तैयार है। इस मशीन से एक घंटे में छह हजार ईंटों को आसानी से बनाया जा सकता है। इस मशीन को चलाने के लिए पांच से छह मजदूरों की जरूरत पड़ती है। मशीन सहित ईंट भट्ठा से जुड़े मशीनी उपकरणों की प्रदर्शनी में भट्ठा मालिक जानकारी लेते देखे गए।

ईंट भट्ठा से जुड़े मशीनी उपकरणों की प्रदर्शनी गुरुवार को आगरा रोड स्थित सेवा सदन में आयोजित ईंट भट्ठा मालिकों के अधिवेशन में लगाई गई थी। इसे लगाने के लिए गाजियाबाद की एक फर्म अधिवेशन में आई हुई थी। फर्म के संचालक अजय भाटिया ने बताया कि ईंट भट्ठा व्यवसाय से संबंधित कई मशीनें बाजार में आ गई हैं। इनमें ब्रिक मेकिंग मशीन काफी महत्वपूर्ण है। ट्रैक्टर से संचालित होने वाली इस मशीन से एक घंटे में छह हजार कच्ची ईंट आसानी से बनाई जा सकती है। इसमें मिट्टी से बना हुआ गारा डालना पड़ता है। इसके लिए पांच से छह मजदूरों की जरूरत पड़ती है। उन्होंने बताया कि इसकी कीमत करीब 21 लाख रुपये है।

मड मिक्शर से निकलता है चार मिनट 2500 ईंटों का गारा

अजय भाटी बताते हैं ईंट बनाने की मशीन के लिए गारा बनाने लिए भी अलग से मड मिक्सर मशीन है। इस मशीन से चार मिनट में 2500 ईंटो का गारा बनकर तैयार हो जाता है। इसके लिए इसमें पानी व एक दिन पहले भिगोई गई मिट्टी डालनी पड़ती है। ट्रैक्टर द्वारा संचालित यह मशीन 2.5 लाख रुपये से शुरू है। उन्होंने ग्राहकों को कोल क्रसर, स्पेशल लेवलर, फाइबर शंट, आइडी फैन मशीनों के बारे में भी जानकारी दी।


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