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दोनों परिवारों के संबंधों पर घूमती रही सीबीआइ जांच

युवती के अंतिम बयान को आधार मानकर दाखिल की थी चार्जशीट चार जनवरी को हाथरस के विशेष न्यायालय में होनी है सुनवाई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Dec 2020 01:46 AM (IST)Updated: Tue, 22 Dec 2020 01:46 AM (IST)
दोनों परिवारों के संबंधों पर घूमती रही सीबीआइ जांच
दोनों परिवारों के संबंधों पर घूमती रही सीबीआइ जांच

जासं, हाथरस : बहुचर्चित बूलगढ़ी कांड की 67 दिन चली सीबीआइ जांच दोनों परिवारों के संबंधों पर ही घूमती रही। मृतका और आरोपितों के स्वजन के गांव के 50 लोगों से की गई पूछताछ में तमाम ऐसे सवाल पूछे जो संबंधों से जुड़े थे। हालांकि, पूछताछ में युवती व मुख्य आरोपी संदीप में भी मनमुटाव की बात सामने आई थी। सीबीआइ ने चार्जशीट में हत्या दुष्कर्म की बात मानी है। मृत्यु पूर्व बयान को आधार बनाया है। इस मामले की सुनवाई चार जनवरी को हाथरस के विशेष न्यायालय एससी-एसटी एक्ट में होनी है। इसी कोर्ट में 18 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल की गई थी।

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बूलगढ़ी की युवती पर 14 सितंबर को गांव के एक खेत पर हमला हुआ था। वह चारा काटने अपने भाई व मां के साथ गई थी। हमले की रिपोर्ट गांव के ही संदीप सिसौदिया के खिलाफ दर्ज कराई गई थी। बाद में बयानों के आधार पर धाराएं और आरोपितों के नाम बढ़ते गए। गांव के ही रामू, रवि व लवकुश को भी आरोपित बनाया गया। चारों जेल में हैं। युवती की मौत 29 सितंबर को हो गई थी। 11 अक्टूबर से सीबीआइ ने जांच शुरू की तो पूछताछ में दोनों के संबंधों पर ही सवाल सामने आने लगे। दरअसल, घटना के बाद ही संदीप व मृतका के स्वजन में विवाद सामने आ गया था। दोनों परिवार के बड़े यह नहीं चाहते थे कि उनके परिवार का कोई सदस्य आपसी संबंध रखे। पुलिस व सीबीआइ की जांच में संदीप व युवती के भाई के मोबाइल नंबर पर 13 अक्टूबर 2019 से मार्च 2020 के बीच 104 कॉल होना पाया गया था। बातचीत दोनों ओर से हुई थी। सीबीआइ ने जांच में इसे प्रमुखता से शामिल किया। युवती और आरोपित संदीप सिंह के घरों का फासला ज्यादा नहीं है। कॉल डिटेल से यह भी स्पष्ट हुआ था कि युवती के भाई के नंबर से आरोपित संदीप सिंह के नंबर पर 62 बार और संदीप के नंबर से युवती के भाई के मोबाइल पर 42 बार काल की गई। इस बीच दोनों परिवारों के बीच विवाद की बात भी सामने आई थी। पूछताछ में तो गांव के कुछ लोगों ने यह भी बताया था कि मार्च 2020 के बाद दोनों में बातचीत बंद हो गई थी। सूत्रों की मानें तो आरोपित संदीप ने अपने दोस्तों और अन्य जानकारों के नंबर से युवती से बात करने की कोशिश की। सीबीआइ ने इसको लेकर दोस्तों, रिश्तेदारों, पास-पड़ोस के कई लोगों से बातचीत की थी। दोस्तों के मुताबिक संदीप युवती पर शक भी करने लगा था। 14 सितंबर को हमले के बाद युवती के भाई ने संदीप सिसौदिया के खिलाफ जानलेवा हमला और एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था। 19 सितंबर को पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। इसके बाद 20 सितंबर को युवती के बयान के आधार पर मुकदमे में छेड़छाड़ की धारा बढ़ाई गई थी। 22 सितंबर को सीओ ब्रह्म सिंह ने चार्ज लेने के साथ युवती के मेडिकल कॉलेज में 161 के बयान लिए थे। तब युवती के बयान के आधार पर इस मुकदमे में सामूहिक दुष्कर्म की धारा बढ़ाई गई। इसी बयान के आधार पर सीबीआइ ने सामूहिक दुष्कर्म और हत्या की चार्जशीट दाखिल की है। पुलिस की लापरवाही पर एसपी

समेत कई पर गिरी थी गाज

पीड़िता ने 14 सितंबर को कोतवाली चंदपा और जिला अस्पताल में बने वीडियो में संदीप द्वारा जबरदस्ती करने की बात कही थी, लेकिन इसके बावजूद पुलिस ने मुकदमे में इसकी धारा नहीं बढ़ाई थी। 20 सितंबर को मेडिकल कॉलेज में सीओ रामशब्द को दिए बयान में भी छेड़खानी की बात कही, तो मुकदमे में छेड़छाड़ की धारा बढ़ा दी लेकिन लड़की का मेडिकल नहीं कराया। 22 सितंबर को 161 के बयान के आधार पर तीन अन्य लोगों को नामजद किया गया, तब उसका मेडिकल कराया गया। इसी लापरवाही के चलते तत्कालीन एसपी, डिप्टी एसपी समेत पांच पुलिसकर्मियों पर गाज गिरी थी। संदीप ने एक बार फोन पर खुद

को बताया था दिल्ली का डॉन

जासं, हाथरस : बूलगढ़ी की मृतका के पिता ने मीडिया के एक सवाल पर कहा कि आरोपित संदीप ने घटना से पहले घर के मोबाइल पर कॉल की और कहा था कि वह दिल्ली का डॉन बोल रहा है। इस कॉल को ट्रैस कराने पर पता चला था कि वह नंबर आरोपित संदीप ठाकुर का है। मीडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि संदीप समेत चार आरोपितों के खिलाफ सीबीआइ की कार्रवाई पर स्वजन संतुष्ट हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि सीबीआइ ने संदीप की पांच साल की बच्ची से भी पूछताछ की थी। उन्होंने कहा कि अगर केस दिल्ली रेफर हो जाता है तो परिवार भी दिल्ली में शिफ्ट हो जाएगा। वहीं दोनों बेटे नौकरी भी खोज लेंगे। उन्होंने कहा कि बूलगढ़ी के आसपास के 20 गांव में हम लोगों के खिलाफ पंचायतें हो गईं तो फिर हाथरस छोड़कर जाना ही ठीक है।


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