कलश गिरने की एएसआई ने की जांच
फोटो- 17 18 20 21 सब हेड संरक्षक सहायक ने तलाशी वजह उचाधिकारियों को भेजेंगे रिपोर्ट पड़ताल प्रशासन भी तैयार कर रहा है जांच रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भेजेंगे 220 साल पुराने दाऊजी मंदिर के कलश गुरुवार को भरभराकर गिरे थे
जासं, हाथरस : हाथरस की श्रद्धा के केंद्र प्राचीन श्री दाऊजी महाराज मंदिर के शिखर के कलश गिरने के बाद प्रशासनिक अधिकारियों में खलबली मच गई है। प्रशासन की सूचना पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के सहायक संरक्षक ने शुक्रवार सुबह मंदिर में पहुंचकर जांच पड़ताल की।
किला परिसर में करीब 220 साल पुराने दाऊजी मंदिर के कलश गुरुवार को भरभराकर गिर था। इसमें पुरातत्व विभाग और प्रशासन की अनदेखी नजर आ रही है। कलश गिरने की घटना से शहरवासी काफी आहत हैं। इधर प्रशासन की सूचना पर एएसआई के उप मंडल मथुरा के सहायक संरक्षक सतीश कुमार शुक्रवार की सुबह नौ बजे मंदिर पर पहुंच गए। सतीश कुमार ने टूटे हुए कलशों के टुकड़ों को देखा। उसके भीतर की रॉड की भी जांच की। सतीश कुमार के मुताबिक मंदिर करीब 220 साल पुराना है। यह कलश धातु के हैं और इनके भीतर मसाला भरा हुआ था। जिस बीच में फंसी लोहे की रॉड गल चुकी है। इसी वजह से कलश के गिरने की आशंका प्रतीत हो रही है। उन्होंने कलश, रॉड और अन्य जगहों के फोटो खींचकर जांच पड़ताल की। उन्होंने बताया कि इसकी रिपोर्ट पुरातत्व अधीक्षक को भेजी जाएगी। एसडीएम सदर रामजी मिश्र ने बताया कि कलश गिरने की जांच कराई जा रही है। इसकी रिपोर्ट तैयार कर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को भिजवाई जाएगी।
विधायक, जिलाध्यक्ष ने भी किया निरीक्षण
हाथरस: सदर विधायक हरीशंकर माहौर, सिकंदराराऊ विधायक वीरेंद्र सिंह राणा, जिलाध्यक्ष गौरव आर्य समेत अन्य भाजपाई और एसडीएम रामजी मिश्र शुक्रवार की दोहपर को दाऊजी मंदिर परिसर में पहुंचे। विधायकों ने घटना के बारे में जानकारी की। उन्हें पुजारी ने बताया कि मंदिर के शिखर पर लगे झंडे की प्राचीर कलश में फंसी हुई थी। कुछ देर बाद कलश टूटकर गिर गए। इस दौरान दोनों विधायकों ने कहा कि वह मंदिर के कलश और जीर्णाेद्धार के लिए हर संभव मदद करने को तैयार हैं। इसके लिए जिलाधिकारी से वार्ता कर मंदिर के लिए फंड देंगे। इस दौरान पूर्व शहर अध्यक्ष मोहन पंडित, हरीश शर्मा एडवोकेट भी मौजूद थे। प्रशासन व पुरातत्व विभाग के बीच फंसी मंदिर की देखरेख
दो दशक ने नहीं हुआ कोई काम, मेले के समय होती है सिर्फ रंगाई-पुताई
मंदिर की जर्जर स्थिति, बारिश के दौरान टपकता है पानी, नहीं है कोई देखने वाला जासं, हाथरस: शहर के प्राचीन दाऊजी महाराज मंदिर का संरक्षण जिला प्रशासन और पुरातत्व विभाग के बीच फुटबाल बन गया है। करीब 16 साल पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने इसे संरक्षित स्मारक मानते हुए बोर्ड तो लगा दिया लेकिन इसके जीर्णाेद्धार को कोई प्रयास नहीं किए। जिला प्रशासन भी मेले के दौरान रंगाई पुताई कराकर इतिश्री करता रहा है। वास्तव में जर्जर हो रहे मंदिर परिसर पर किसी का ध्यान नहीं है।
किला परिसर में सैकड़ों वर्ष पुराना श्री दाऊजी महाराज का मंदिर है। हाथरस में बालाजी पेशवा के अधीन स्वतंत्र रियासत थी। जिसके राजा दयाराम थे। इतिहास के पन्नों में देखें तो मंदिर की नींव राजा भूरी सिंह ने रखी थी। उनका कार्यकाल 1768 से 1775 के बीच रहा था। उनकी मृत्यु के बाद राजा दायाराम ने 1800 शताब्दी की शुरुआत में मंदिर का निर्माण पूरा कराया था। इसे तकरीबन 220 वर्ष हो चुके हैं। इसे पुरातत्व विभाग ने संरक्षित स्मारक मानते हुए वर्ष 2006 में बोर्ड भी लगा दिए। लेकिन इसके संरक्षण लिए कोई प्रयास नहीं किए गए। करीब दो दशक पहले मंदिर की भीतरी क्षत का हिस्से में दरार आई थी, जिसे बमुश्किल सही कराया गया था। मंदिर के पीछे के हिस्से में बनी किचिन भी का लेंटर में भी दरारें हैं। मंदिर परिसर के भीतरे हिस्से की साइडों से बारिश के दौरान पानी टपकता है। इन सब पर न तो प्रशासन की नजर गई न हीं एएसआई की। जब-जब मेले का आयोजन होता है तब मंदिर की रंगाई पुताई करा दी जाती है, लेकिन मेला खत्म होते ही इसकी कोई सुधि नहीं लेता। प्रशासन और पुरातत्व विभाग की अनदेखी के कारण परिसर का संरक्षण खतरे में है।