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मजलूमों की आवाज बने अमर सिंह

(तंत्र के गण) (अभिव्यक्ति का अधिकार) ------------------ सिस्टम से जब भी अन्याय होते दिखा आंदोलन की अलख जगाने निकल पड़े संघर्षमय जीवन कई बार लंबा संघर्ष कर पीड़ित और उपेक्षित लोगों को दिलाया न्याय सिस्टम की खामियों के विरोध के चलते हर स्तर पर मुश्किलें झेलीं

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Jan 2020 12:45 AM (IST)Updated: Tue, 21 Jan 2020 12:45 AM (IST)
मजलूमों की आवाज बने अमर सिंह
मजलूमों की आवाज बने अमर सिंह

विनय चतुर्वेदी, सिकंदराराऊ (सिकंदराराऊ): अन्याय एवं अत्याचार के पेट से ही संघर्ष का जन्म होता है। कुछ लोग संघर्ष को ही अपना हथियार बना लेते हैं और पीड़ितों की लड़ाई लड़कर उन्हें न्याय दिलाने में विश्वास रखते हैं। पूर्व विधायक अमर सिंह यादव वैसे तो राजनीतिक दल से जुड़े हैं, लेकिन उन्होंने जब भी किसी गरीब या कमजोर पर अत्याचार होते देखा दलगत भावना से ऊपर उठकर आदोलन में आ डटे और न्याय दिलाकर ही माने।

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सामान्य परिचय : पूर्व विधायक अमर सिंह यादव का जन्म 4 मार्च 1953 को गाव देवी का नगला धनीपुर मंडी के पास अलीगढ़ में हुआ था। उनके पिता स्व. सुंदर सिंह यादव किसान थे। अमर सिंह ने धर्म समाज महाविद्यालय अलीगढ़ से ग्रेजुएशन किया। उसके बाद श्री वा‌र्ष्णेय महाविद्यालय अलीगढ़ से एलएलबी की डिग्री हासिल की। सियासी कैरियर :

अमर सिंह यादव ने सिकंदराराऊ विधानसभा क्षेत्र में राजनीतिक जीवन की शुरुआत वर्ष 1993 में समाजवादी पार्टी एवं बसपा गठबंधन से विधानसभा चुनाव लड़कर की थी। तब वे विधायक चुने गए और 18 माह तक विधायक रहे। इसके बाद विधानसभा भंग हो गई। तब तक वह क्षेत्र के लोगों से जुड़ चुके थे और उनकी अभिव्यक्ति का जरिया बन चुके थे। भले ही वह 1996 का चुनाव हार गए, लेकिन जनता की लड़ाई जारी रखी। कई आदोलनों में अगुवाई की। 2002 में एक बार फिर से विधायक चुने गए। इस बार उनकी जीत खास मायने रखती थी। इस बार वह 2007 तक विधायक रहे। गांधीवादी तरीका :

आज के दौर में जब दिशाहीन आंदोलन हिसक हो जा रहे हैं, तब अमर सिंह का गांधीवादी आंदोलन लोगों को अन्याय के विरुद्ध जूझने और हक पाने की सीख देता है। अनशन को उन्होंने अपना हथियार बनाया और ऐसे गरीबों-मजलूमों की अभिव्यक्ति का माध्यम बन गए जो अपनी आवाज शासन-प्रशासन तक नहीं पहुंचा पाते थे। या यूं कहें जिनकी आवाज नक्कारखाने में तूती बन जाती थी। हमेशा उनकी आवाज बनकर अमर सिंह ने लड़ाई का झडा बुलंद किया। एनएसए के तहत गए जेल :

वर्ष 2000 में ब्लॉक प्रमुख चुनाव के समय स्थानीय विकास खंड कार्यालय में वोट डालने को लेकर प्रत्याशियों में मारपीट एवं बवाल हो गया था, जिसमें पुलिस ने लाठीचार्ज किया था। इस घटना में पूर्व विधायक अमर सिंह यादव को एनएसए के तहत जेल भेजा गया, जिससे वह सवा नौ महीने तक जेल में रहे।

मुख्य आदोलन :

कचौरा में पड़ी डकैती की घटना में पुलिस द्वारा निर्दोष दिव्याग युवक बृजेश कुमार को रखे जाने के मामले को लेकर उन्होंने कोतवाली का घेराव किया और धरने पर बैठ गए। फलस्वरूप जिले के आला पुलिस अधिकारियों ने आकर उस युवक को रिहा करके आदोलन समाप्त कराया था। वहीं हसायन क्षेत्र के हरि सिंह कुशवाह हत्या काड, रतनपुर डकैती, गढि़या प्रकरण आदि ऐसे कई मामले रहे हैं, जिनमें जब प्रशासन ने पीड़ित की आवाज को नजरअंदाज करने का प्रयास किया तो अमर सिंह यादव वहा पहुंचे और उन्होंने अनशन के माध्यम से आवाज को उठाया और न्याय दिलाने का प्रयास किया। यह सिलसिला अनवरत जारी है। गाव सब्दलपुर निवासी दिनेश हत्याकाड में गाव आलमपुर के चार लोगों को नामजद किए जाने के मामले को लेकर 51 दिन से वह लगातार गाव आलमपुर में लोगों के साथ धरना दे रहे हैं। उनकी माग है कि मुकदमा निरस्त करके आरोपित लोगों को बरी किया जाए।

वर्जन -

राजनीति को कभी व्यवसाय के रूप में नहीं लिया। इसे समाज सेवा का माध्यम ही माना है। चुनाव लड़ने और जीतने से ज्यादा गरीब और पीड़ित लोगों की आवाज उठाने और उनको न्याय दिलाने में संतुष्टि की अनुभूति होती है। ऐसे अनेक मामले हैं, जिनके लिए मैंने अनशन का रास्ता अपनाया या फिर अधिकारियों के समक्ष मामला रखकर लोगों को न्याय दिलाया है। सभी का जिक्त्र नहीं किया जा सकता। जीवन पर्यंत लोगों की लड़ाई लड़ता रहूंगा।

-अमर सिंह यादव, पूर्व विधायक, सिकंदराराऊ


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