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आइएएस अधिकारी बनना चाहते हैं अजय

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By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Apr 2019 01:37 AM (IST)Updated: Sun, 28 Apr 2019 06:19 AM (IST)
आइएएस अधिकारी बनना चाहते हैं अजय
आइएएस अधिकारी बनना चाहते हैं अजय

संवाद सहयोगी, हाथरस : हाईस्कूल में जिला टॉप करने वाले सरस्वती इंटर कॉलेज के छात्र अजय कुमार सारस्वत के पिता नीरज सारस्वत कोतवाली हाथरस गेट में होमगार्ड हैं। नगला बांस कुंवरपुर निवासी अजय ने 91.67 (600 में से 550 अंक) फीसद अंक हासिल कर परचम लहराया है। अजय शनिवार को वाराणसी में थे। वह बीएचयू (बनारस हिदू यूनिवर्सिटी) की 11वीं में प्रवेश परीक्षा के लिए गए हुए थे। जब उन्हें फोन पर यह जानकारी मिली तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पिता नीरज बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास में जुटे हैं। मां सविता देवी गृहणी हैं। बड़ी बहन चारू ने भी इसी वर्ष आरसी कन्या इंटर कॉलेज से 88 प्रतिशत अंकों के साथ 10वीं की परीक्षा पास की है। पढ़ाई के लिए पर्याप्त सुविधाएं न होने के बावजूद अजय पढ़ाई में पीछे नहीं रहे।

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अजय ने कहा कि परिवार की परिस्थितियां कैसी भी हों, लेकिन पापा हमेशा सपोर्ट करते हैं। अजय ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और कॉलेज के शिक्षकों को दिया है। आठ से 10 घंटे रोजाना पढ़ाई की। कुछ सेल्फ नोट्स बनाए, कुछ विषयों के ट्यूशन लिए। अजय आगे कड़ी मेहनत करके छात्र आइएएस अधिकारी बनना चाहता है। बीएचयू में साइंस स्ट्रीम से 12वीं करना चाहते हैं। बेटे की सफलता पर नीरज कहते हैं कि अजय का जिले में प्रथम स्थान पाना गौरव की बात है। बेटी चारू ने भी अच्छे अंकों के साथ हाईस्कूल की परीक्षा पास की है। दोनों बच्चों को अच्छे से पढ़ाना ही उनका लक्ष्य है। मजदूर के बेटे शिवम की शिक्षक बनने की तमन्ना

संवाद सहयोगी, हाथरस : शहर के बीच स्थित हलवाई खाना में रहने वाले मनीष कुमार वर्मा की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं है, लेकिन उनकी पारिवारिक परिस्थितियां कभी पढ़ाई में रोड़ा नहीं बनीं। मनीष खुद भगवान की पोशाक बनाने का कार्य करते हैं। आमदनी बहुत अधिक नहीं है, लेकिन उनके बेटे शिवम ने पढ़ाई में पूरी लगन और मेहनत की। सरस्वती इंटर कॉलेज से इंटरमीडिएट के छात्र शिवम वर्मा ने 500 में से 422 अंक प्राप्त कर जिला टॉप किया है। उन्हें 84.40 फीसद अंक मिले हैं। उनके माता पिता खुद तो ज्यादा नहीं पढ़े, लेकिन वह बच्चों को पढ़ाने में कोई भी कसर नहीं छोड़ रहे।

शिवम बताते हैं कि काफी समय पहले उनके पिता कढ़ाई का कार्य करते थे, लेकिन काम बंद हो जाने के कारण वह पोशाक बनाने का कार्य मजदूरी पर करते हैं। कोचिग के लिए रुपये नहीं थे तो खुद ही पढ़ाई की। सात से आठ घंटे तक कड़ी मेहनत के अलावा कॉलेज में अतिरिक्त समय देकर शिक्षकों के मार्गदर्शन की। हाईस्कूल में भी उन्होंने 87 फीसद अंक पाए थे। परिवार में छोटे भाई आशीष ने सरस्वती इंटर कॉलेज से ही इस वर्ष हाईस्कूल की परीक्षा 83 फीसद अंकों के साथ पास की है। शिवम का लक्ष्य शिक्षक बनकर गरीब बच्चों को नि:शुल्क कोचिग देना है।


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