मुआवजे के लिए कागजों में जालसाजी पर दावे खारिज
एनएच-91 के चौड़ीकरण के लिए अधिगृहीत की गई है जमीन सिकंदराराऊ के 25 किसानों के प्रपत्रों में मिली गड़बड़ी कृषि भूमि को आबादी में दिखाकर मांगा था मुआवजा
हिमांशु गुप्ता, हाथरस : अलीगढ़ से कानपुर तक एनएच-91 के चौड़ीकरण में जमीन देने वाले किसानों ने मुआवजे के लिए खेल करना चाहा, मगर पकड़े गए। सिकंदराराऊ क्षेत्र के 25 किसानों ने बैनामों में जालसाजी कर कई गुना मुआवजा लेने की कोशिश की। अपनी कृषि योग्य भूमि को आबादी में दिखाकर करोड़ों रुपये के बैनामे का दावा किया। जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकार ने इस घपले को पकड़ लिया। उन्होंने आबादी के रेट में मुआवजे के दावों को खारिज कर दिया है। जिला मजिस्ट्रेट ने इसकी जांच के आदेश एडीएम को दिए हैं।
जीटी रोड को सिक्स लेन बनाने का काम शुरू हो चुका है। हाथरस के सिकंदराराऊ क्षेत्र से यह हाईवे निकल रहा है। सिकंदराराऊ पर बाइपास बनाया जा रहा है। अलीगढ़ रोड पर गांव बिलार से एटा रोड पर भदवास की सीमा तक करीब 22 किलोमीटर का भाग हाथरस जनपद में है। इसके लिए किसानों से भूमि अधिग्रहण 2017 से शुरू हुआ था। 11 गांवों के करीब 3400 किसानों से 55 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहीत की जानी है। 2900 के करीब किसानों को 131 करोड़ रुपये का भुगतान भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने कर दिया है। इनमें से दो दर्जन किसानों ने मुआवजा मानक से कम देने की बात कहते हुए जिलाधिकारी न्यायालय में वाद दायर किया था। इसको लेकर जिला मजिस्ट्रेट प्रवीण कुमार लक्षकार ने सुनवाई की। उन्होंने प्रथम ²ष्टया पाया कि दावा करने वाले किसानों ने वर्ष 2015 में दूसरे किसानों से जमीन खरीदी थी। तब बैनामे में इसे कृषि भूमि दर्शाया था। इसके बाद बैक डेट में 143 की कार्यवाही दिखाकर अपनी जमीन को आबादी में होने का दावा किया। यही गड़बड़ी देख उन्होंने किसानों के दावे खारिज कर दिए। इससे तीन करोड़ 40 लाख रुपये के राजस्व की हानि होने से बच गई। एडीएम को सौंपी जांच, होगा मुकदमा
जिलाधिकारी ने किसानों की जमीन के संबंध में एडीएम को जांच सौंपी है। किसानों ने कैसे बैक डेट में 143 की कार्यवाही दर्शायी। कौन-कौन इसमें संलिप्त रहे। इसकी जांच करने के आदेश एडीएम को दिए हैं। जिला मजिस्ट्रेट ने जांच के बाद जालजासी करने वाले किसानों और इस घपले में शामिल विभागीय लोगों पर मुकदमा दर्ज कराने आदेश दिए हैं।