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ए भाई.. जरा देख के चलो

संसाधनों व रोड इंजीनिय¨रग का अभाव, ट्रैफिक नियम भी दरकिनार ब्लर्ब- सड़कों पर वाहनों का बोझ बढ़ने से हादसों में भी हो रहा इजाफा, इस साल सड़क पर उतरे 17,611 वाहन

By JagranEdited By: Published: Tue, 13 Nov 2018 12:44 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2018 12:44 AM (IST)
ए भाई.. जरा देख के चलो
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कमल वाष्र्णेय, हाथरस :

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लापरवाही, तेज रफ्तार, खराब सड़क या फिर कंडम वाहन, वजह कुछ भी हो, अंजाम एक ही है और वो है समय से पहले अंत। सड़क हादसों में अपनी या दूसरों की गलती से हर वर्ष सैकड़ों लोग जान गंवा देते हैं। इस साल यह आंकड़ा 94 तक पहुंच गया है। कई अपाहिज होकर जीवन की मुख्य धारा से पीछे छूट जाते हैं, जिन्हें तालमेल बिठाने में वर्षों लगते हैं। यह दर्द वही समझ सकता है, जो इससे गुजरा हो। इस दर्द को ना जानने वाले ही नियमों की अनदेखी करते हैं। हादसों की वजह अनगिनत हैं, पर बचाव केवल एक ही है और वह है सावधानी। तभी कहा जाता है 'सावधानी हटी. दुर्घटना घटी।'

सड़क पर बोझ :

जिले में संसाधन वही हैं, लेकिन हर वर्ष हजारों वाहन सड़कों पर उतर रहे हैं। विलासिता के दौर में हर व्यक्ति निजी वाहन की इच्छा रखता है। दिल्ली-मुंबई जैसे महानगरों से लेकर हाथरस जैसे शहर भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। पिछले साल सड़क पर 16 हजार 772 वाहन उतरे थे। इस साल अब तक 17 हजार 611 वाहन पंजीकृत हो चुके हैं तथा अभी हजारों वाहन प्रक्रिया में हैं, जिनके पंजीकरण जारी किए जाने हैं। सबसे अधिक दुपहिया वाहन पंजीकृत होते हैं। इसके बाद चार पहिया वाहन और फिर ट्रांसपोर्ट व्हीकल का नंबर आता है। इस साल 14 हजार 50 और दुपहिया वाहन सड़क पर उतर चुके हैं।

नियमों की अनदेखी :

सड़क हादसों की एक और प्रमुख वजह है नियमों की अनदेखी। पुलिस के चे¨कग अभियान में यह बात साफ हो जाती है कि लोग नियमों का कितना पालन करते हैं। शायद ही कोई वाहन चालक होता है, जिसपर पूरे कागज मिलें, हेलमेट व सीट बेल्ट का प्रयोग करना तो दूर की बात है। शराब पीकर वाहन चलाना भी आम बात हो चुकी है।

रोड इंजीनिय¨रग :

मथुरा-बरेली मार्ग की तरह कम चौड़ी सड़क, संकरी पुलिया, ऊंची-नीची पटरी, फुटपाथ का अभाव, रिफ्लेक्टर, साइन बोर्ड, चेतावनी संदेश लिखे बोर्ड, ब्रेकर आदि कमियां भी सड़क हादसों के लिए जिम्मेदार हैं। मथुरा-बरेली मार्ग पर हादसों की मुख्य वजह सड़क की चौड़ाई कम होना है। अकसर हादसे पुलिया पर होते हैं। रात में बाइक सवार नहर व नालों में गिर जाते हैं। रोड इंजीनिय¨रग का अभाव राहगीरों पर भारी पड़ता है।

ब्लैक स्पॉट्स :

स्टेट हाइवे मथुरा-बरेली मार्ग खतरों से खाली नहीं। सिकंदराराऊ से लेकर मुरसान तक दर्जन भर ब्लैक स्पॉट हैं, जिनमें अधिकतर पुलिया हैं। हसायन क्षेत्र में जाऊ नहर, मैंडू रोड पर एआरटीओ कार्यालय गंदा नाला स्थित पुलिया, मुरसान में करवन नदी पुल आदि। इसके अलावा हाथरस जंक्शन पर बना पुल व दोनों तरफ सौ मीटर तक का क्षेत्र दुर्घटना बाहुल्य है। एआरटीओ कार्यालय स्थित पुलिया पर इस साल एक दर्जन से अधिक बाइक सवार दुर्घटना का शिकार हो चुके हैं। नगला उम्मेद से लेकर नगला भुस तक 14 किलोमीटर के बाईपास पर दर्जनों ब्लैक स्पॉट हैं, जिनमें कोटा कपूरा चौराहा, इगलास रोड व लहरा रोड चौराहा प्रमुख हैं। इन पर रोजाना एक हादसे का औसत है।

ट्रैफिक लाइट्स :

तीन साल पहले तत्कालीन डीएम सूर्यपाल गंगवार ने तालाब चौराहा की स्थिति सुधारने का प्रयास किया था। प्याऊ शिफ्ट कराने के साथ यहां ट्रैफिक लाइट्स लगवाई थी। लगभग 16.50 लाख रुपये की लागत से यह काम हो सका था। तालाब चौराहा पर रेलवे लाइन बीच में पड़ जाने के कारण ट्रैफिक लाइट्स तीन साल से शुरू नहीं हो सकी। प्रशासन की ओर भी कोई कारगर प्रयास नहीं हुए हैं। यहां अव्यवस्थित ट्रैफिक के कारण रोजाना यहां जाम व दुर्घटना के हालात बने रहते हैं। डेढ़ महीने पहले मोहल्ला श्रीनगर के युवक की तालाब चौराहा के पास ट्रक के नीचे आने से मौत हो गई थी।

वाहनों की फिटनेस :

कंडम वाहन भी सड़क हादसों की वजह हैं। लोग वाहनों की फिटनेस पर ध्यान नहीं देते। ट्रक, ट्रैक्टर व अन्य कमर्सियल वाहनों पर रिफ्लेक्टर पट्टी का न लगा होना, कोहरे में फॉग लाइट न लगाना, एक हेड लाइट व टेल लाइट का खराब होने के बावजूद वाहन चलाना हादसों की वजहों में से एक है। वाहन पंजीकरण की स्थिति

वाहन, 2015, 2016, 2017, 2018

बाइक/स्कूटर/मोपेड, 9023, 14253, 13748, 14580

कार/वैन/जीप, 598, 1024, 986, 1106

लाइट गुड्स व्हीकल, 180, 216, 183, 191

मीडियम गुड्स व्हीकल, 14, 16, 10, 18

हैवी गुड्स व्हीकल, 23, 88, 68, 62

टैंकर, 16, 19, 14, 21

अर्थ मू¨वक व्हीकल, 19, 25, 24, 18

ट्रैक्टर, 438, 632, 588, 490

ट्रांसपोर्ट व्हीकल, 520, 680, 654, 712

ई-रिक्शा, --, --, 47, 72

टेम्पो/टैक्सी, 145, 250, 252, 306

बस, 55, 67, 46, 35


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