जिले के 23 परिवारों में है मैला ढोने की कुप्रथा
-शुष्क शौचालयों को खत्म करने को दिए गए हैं निर्देश -शुष्क शौचालयों से मैला ढोने की प्रथा को मिल रहा बढ़ावा
संवाद सहयोगी, हाथरस : प्रदेश के 916 घरों में आज भी मैला ढोने की प्रथा है। इन घरों में शुष्क शौचालयों का इस्तेमाल किया जा रहा है। हाथरस भी प्रदेश के उन चुनिदा जिलों में शामिल है, जहां शुष्क शौचालयों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जिले में ऐसे परिवारों की संख्या 23 है।
स्वच्छ भारत मिशन के ज्यादातर जिलों को ओडीएफ घोषित करने के बावजूद इन घरों में इस कुप्रथा का खात्मा नहीं हो सका। अब सरकार ने ऐसे घरों में मौजूद शुष्क शौचालयों को खत्म करने का फैसला किया है। इसके लिए स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारियों को निर्देशित किया गया है। मिशन निदेशक अनुराग यादव ने पत्र लिखकर सभी जिलाधिकारियों को शुष्क शौचालयों की जगह स्वच्छ शौचालय बनाने को कहा है। मिशन निदेशक अनुराग यादव के मुताबिक बिजनौर में सबसे ज्यादा 188, लखीमपुर खीरी में 185 और मेरठ में 178, फर्रुखाबाद में 141, परिवार शुष्क शौचालयों का इस्तेमाल कर रहे हैं। सहारनपुर में ऐसे परिवारों की संख्या 33, गाजीपुर में 31, गाजियाबाद में 40, बाराबंकी में 37 और अलीगढ़ में 17 है। तीन गांवों में मौजूद
हैं शुष्क शौचालय
जिले में शुष्क शौचालयों का उपयोग करने वाले 23 परिवार तीन गांवों में हैं। महमूदपुर में 11, अगसौली में आठ और दरियापुर, मोहारी में चार परिवार शुष्क शौचालय का प्रयोग कर रहे हैं।
वर्जन-
शासन से मिले पत्र का जवाब हमने दे दिया है। दरअसल, यह 23 परिवार नगरीय क्षेत्र में नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में हैं, इसलिए हमने शासन को कहा है कि इन शुष्क शौचालयों को खत्म कराना हमारे अधिकार क्षेत्र में नहीं है। शासन से आगे दिशा-निर्देश मिलने पर निर्णय लिया जाएगा।
-मनीष राज, जिला कार्यक्रम प्रबंधक।