18 दिन में जीतना होगा 18 लाख मतदाताओं का भरोसा
30 मार्च से 16 अप्रैल की शाम तक होगा चुनाव प्रचार सियासी सरगर्मी -महागठबंधन को छोड़कर किसी पार्टी ने नहीं किया प्रत्याशी का एलान -उम्मीदवारों को मतदाताओं तक पहुंचने में बहाना होगा ज्यादा पसीना
संवाद सहयोगी, हाथरस : लोकसभा चुनाव की यह जंग राजनीति के सूरमाओं के लिए आसान नहीं होगी। नामांकन वापसी के बाद महज 18 दिन में प्रत्याशियों को 18 लाख लोगों का भरोसा जीतना होगा। जिन दलों ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है, उनके उम्मीदवारों को मतदाताओं तक पहुंचने में ज्यादा मशक्कत करनी पड़ेगी।
हाथरस लोकसभा सीट पर मतदान दूसरे चरण में 18 अप्रैल को होगा। इसके लिए नामांकन की शुरुआत 19 मार्च से होगी और 26 मार्च तक नामांकन हो सकेगा। 27 मार्च को नामांकन की जांच होगी और 29 मार्च तक नामांकन वापसी होगी। 30 मार्च से प्रत्याशी प्रचार के मैदान में कूद जाएंगे और 16 अप्रैल की शाम पांच बजे तक मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर सकेंगे। महागठबंधन को छोड़कर किसी दल ने अपने उम्मीदवार का एलान नहीं किया है। नामांकन से ठीक पहले या उसके बाद प्रत्याशी के नाम के एलान से राजनीतिक दलों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। प्रत्याशियों के मतदाताओं तक पहुंचने और उन्हें अपनी विचारधारा से प्रभावित करने के लिए 18 दिन का समय नाकाफी होगा। मतदाता तो दूर पार्टी कार्यकर्ताओं को एकजुट करने के लिए भी प्रत्याशी को पसीना बहाना पड़ेगा। वहीं टिकट के एलान के बाद उन लोगों की नाराजगी भी दूर करनी होगी जो टिकट न मिलने पर बगावत पर उतर आएंगे।
भाजपा ने पिछले विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशी के नाम पर मोहर लगाने में खासी देरी की थी। ऐसा चुनाव से पहले तक पार्टी को एकजुट रखने के लिए किया गया था। अंतिम समय में टिकट तय होने से दूसरे नेताओं को भितरघात का मौका नहीं मिल पाया था। हालांकि बसपा कई महीने पहले ही अपने उम्मीदवार का एलान कर देती है लेकिन इस बार सपा से गठबंधन की संभावना को देखते हुए यहां उम्मीदवार घोषित नहीं किया गया था। रामजीलाल सुमन के नाम की घोषणा भले ही सपा नेताओं ने बाद में की हो लेकिन सुमन के तेवर यह बता रहे थे कि टिकट उन्हें ही मिलेगा। तीन महीने पहले ही उनकी सक्रियता बढ़ गई थी। कांग्रेस ने भी उम्मीदवार के नाम का एलान नहीं किया है। ऐसे में प्रचार के कम दिनों से पार्टी की परेशानी बढ़ सकती है। वहीं सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस भाजपा की सूची जारी होने के बाद अपने प्रत्याशी के नाम का एलान करेगी। 35 साल से यहां जीत से दूर कांग्रेस की कोशिश खुद की जीत से ज्यादा भाजपा की हार की होगी।