नारी सशक्तिकरण : छोटे शहर की बेटी डॉक्टर, इंजीनियर नहीं बनना चाहती बॉडी बिल्डर
हरदोई हर पिता का सपना होता है कि उनकी बेटी पढ़ लिखकर डॉक्टर इंजीनियर नहीं बनेगी।
हरदोई : हर पिता का सपना होता है कि उनकी बेटी पढ़ लिखकर डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षिका बने, लेकिन हरदोई जैसे छोटे से शहर के एक सेवानिवृत्त सैनिक अपनी बेटी को बॉडी बिल्डर बनाना चाहते हैं। इसके लिए उन्होंने बेटी को फिटनेस जिम भी खुलवाया है। जहां उनकी बेटी खुद तो तैयारी करती ही है, साथ ही शहर की अन्य बेटियों को भी बॉडी बिल्डर और वेट लिफ्टिंग की तैयारी कराती है।
शहर के मुहल्ला आजाद नगर की रहने वाली सौम्या बाजपेई के पिता प्रमोद बाजपेई ने सेना में रहकर देश की सेवा की और अब रिटायर हो चुके हैं। सौम्या बताती हैं कि 2012 में उनका वजन 74 किलो था। तब परिवार और रिश्तेदार देखकर कहते थे कि इसका इतना वजन है शादी कैसे होगी। उन लोगों की कहीं हुई बातें मेरे दिलो दिमाग में बैठ गई और इसके बाद वजन कम करने की ठान ली। एक वर्ष तक तो शहर के जिम में जाकर वजन कम किया। इसके बाद मैंने मन बना लिया कि अब बॉडी बिल्डिंग और पावर लिफ्टिंग में ही करियर बनाना है और फिर लग गई तैयारियों में, लेकिन मां और पापा मना करते रहे। वर्ष 2014 में हरदोई स्पोर्ट्स स्टेडियम में पावर लिफ्टिग में गोल्ड जीतकर जब घर आई तो मां और पापा का चेहरा खिल उठा और इसके बाद दोनों ने सहयोग देना शुरू कर दिया। इसके बाद लगातार में अभ्यास करती रही। शहर के कई जिम गई, लेकिन वहां पर हमेशा किसी न किसी चीज की कमी लगती रही। इसके बाद पापा से बात की और खुद का जिम खोलने का मन बनाया। पापा ने सहयोग किया और दिल्ली साथ गए, वहां से सभी मशीनें खरीदकर लाए। वर्ष 2019 में बुलंदशहर में हुई राज्यस्तरीय पॉवर लिफ्टिंग प्रतियोगिता में पापा साथ गए और वहां पर मैंने गोल्ड जीता और उन्हें मुझ पर गर्व हुआ। सौम्या कहती हैं कि उनका सपना बॉडी बिल्डर बनना है। जिसकी वह लगातार तैयारी कर रही हैं। जिम में आने वाली युवतियों को देती हैं ट्रेनिग : सौम्या बताती हैं कि उनके जिम में दो युवतियां बॉडी बिल्डिंग और 15 पॉवर लिफ्टिंग की तैयारी करने के लिए आती हैं। वह उन्हें ट्रेनिग देती हैं। उनके जिम में आने वाली स्मृति कश्यप पावर लिफ्टिंग में तीन बार जीत भी चुकी हैं।