खेती को आधार बना रामकली ने बनाई पहचान
-पति के मौत के बाद निराश्रित न हो सबला बन बचों को दिखा रही रास्ता -बचों को शिक्षित और घर में भोजन के लिए खेतों में बहा रहीं पसीना
हरदोई : पति की मौत के बाद रामकली ने खेती को आधार बनाकर समाज में अलग पहचान बनाई है। भूमिहीन होने के कारण ठेके पर जमीन लेकर जैविक खेती कर आमदनी का न केवल जरिया तलाशा, बल्कि बच्चों को शिक्षित और घर-परिवार के लिए भोजन जुटा रही हैं।
अहिरोरी क्षेत्र के ह्रास बरौली निवासी रामकली वैसे तो भूमि हीन हैं, लेकिन अब समाज में उनकी खेती के बल पर ही अलग पहचान है। वह ठेके पर जमीन लेकर जैविक और श्रीविधि से फसलों को कर आम किसान से अधिक अन्न उत्पादन प्राप्त कर रही हैं। बीज शोधन से लेकर बुआई और जैविक खादों के उपयोग से अतिरिक्त आमदनी के स्त्रोत खुले हैं और बच्चों की पढ़ाई-लिखाई से लेकर पालन-पोषण की अच्छी व्यवस्था कर पा रही हैं।
रामकली संघर्ष से मिली सफलता के पीछे की कहानी में बताती हैं कि पति की मौत के बाद पांच बच्चों के पालन-पोषण के लिए कोई रास्ता नहीं दिख रहा था। परिवार के लोग भी साथ देने को तैयार नहीं थे, बच्चों की खातिर संघर्ष का रास्ता चुना और राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। गांव की गरीब महिलाओं को समूह को जोड़ा और अध्यक्ष बनी। साप्ताहिक तौर पर दस रुपये की बचत कर समूह को आर्थिक रूप से मजबूत बनाया। समूह सखी का काम मिला तो आमदनी का जरिया और बढ़ गया। खेतीबाड़ी से बचे समय का घरेलू उत्पाद में लगाकर होने वाली आमदनी से बच्चों को स्कूल भेजना शुरू किया है। बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं, भविष्य में यही मेहनत की असली कमाई होंगे।