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जिसने खतरे में डाली जान उसे अपने रुपये खर्च करके मिला सम्मान, खुद तैयार कराना पड़ा प्रशस्ति पत्र

हरदोई में जिस एंबुलेंस कर्मी ने खतरे में जान डालकर कुएं से युवक को बाहर निकाला। उसकी दिलेरी लोगों के दिलों को छू गई लेकिन उसे पुलिस से सम्मान लेने के लिए 65 रुपये खर्च करने पड़े।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 14 Feb 2019 04:58 PM (IST)Updated: Thu, 14 Feb 2019 04:58 PM (IST)
जिसने खतरे में डाली जान उसे अपने रुपये खर्च करके मिला सम्मान, खुद तैयार कराना पड़ा प्रशस्ति पत्र
जिसने खतरे में डाली जान उसे अपने रुपये खर्च करके मिला सम्मान, खुद तैयार कराना पड़ा प्रशस्ति पत्र

हरदोई, जेएनएन। वाह रे पुलिस कुएं में गिरे युवक को बचाने के लिए खुद को असहाय खड़े रहे, एंबुलेंस कर्मी ने खतरे में जान डालकर कुएं से युवक को बाहर निकाला। उसकी दिलेरी लोगों के दिलों को छू गई लेकिन उसे पुलिस से सम्मान लेने के लिए 65 रुपये खर्च करने पड़े। पुलिस अधीक्षक कार्यालय से उसे प्रशस्तिपत्र का प्रोफार्मा दे दिया गया। एबुलेंस कर्मी खुद से कंप्यूटर पर बनवा लाया और कार्यालय में जमा कर दिया। गुरुवार को कर्मी कार्यालय के चक्कर लगाता रहा, उससे कह दिया गया कि घर जाओ फोन कर दे दिया जाएगा।

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कुंए में गिरे युवक को निकाला था बाहर

हुआ यूं था कि मंगलवार की रात शहर के मुहल्ला आलूथोक निवासी विवेक दीक्षित कुएं में गिर गए थे। वह कुएं में तड़पते रहे, ऊपर सिस्टम तमाशा देखता रहा। कोई भी पुलिस कर्मी मदद को आगे नहीं बढ़ सका। अधिकारी फोन करते रहे। एबुलेंस कर्मी नरेंद्र कुमार भी वहां पहुंचा और बिना अपनी जान की परवाह किए कमर में रस्सी बांधकर कुएं में उतर गया। विवेक की तो नहीं बचा सका लेकिन अपनी जान की चिंता न कर दूसरी की जान बचाने के लिए वह आगे आया। उसके प्रयास से ही तीन घंटे बाद विवेक को बाहर निकाला जा सका। मौके पर मौजूद रहे अपर पुलिस अधीक्षक कुंवर ज्ञानंजय सिंह ने नरेंद्र को सम्मानित करने की बात कही थी।

खुद बनवाना पड़ा प्रशस्ति पत्र 

बुधवार को नरेंद्र कुमार को एसपी कार्यालय बुलाया गया। पुलिस कर्मियों ने उसे प्रशास्ति पत्र का प्रोफार्मा देकर खुद बनाकर ले आने की बात कही गई। नरेंद्र ने तो खुद किसी को नहीं बताया लेकिन कचेहरी में कंप्यूटर की दुकान पर प्रोफार्मा बनवा रहे नरेंद्र पर लोगों की नजर पड़ गई। शाम को उसने पुलिस विभाग के मन का प्रशस्ति पत्र बनवाया। इसके बदले उसे 65 रुपये खर्च करने पड़े। बुधवार को ही वह खुद बनवाया प्रशस्ति पत्र दे आया, लेकिन गुरुवार को बुलाया गया। नरेंद्र का कहना है कि गुरुवार को वह गया तो कहा गया कि अभी बना नहीं है। फोन कर उसे सूचना दे दी जाएगी।  


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