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दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने के लिए किए गए बदलाव

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By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Sep 2019 09:53 PM (IST)Updated: Fri, 13 Sep 2019 09:53 PM (IST)
दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने के लिए किए गए बदलाव
दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने के लिए किए गए बदलाव

हरदोई : केंद्रीय सामजिक न्याय और आधिकारिता मंत्री डा. थावर चंद्र गहलोत ने कहा कि जो कार्य केंद्र में मोदी सरकार ने वर्ष 2014 के बाद किए हैं, वह पहले भी किए जा सकते थे। समाज के किसी भी वर्ग को नजरंदाज नहीं किया जा सकता है, फिर दिव्यांगों की कैसे अनदेखी हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सराहना की। कहा कि दिव्यांगजनों को मानव संसाधन की मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार ने 2014 से दिव्यांगों के लिए छह प्रकार का वजीफा शुरू किया है। वर्ष 2016 से कानून में बदलाव करते हुए 21 श्रेणियों की दिव्यांगता को शामिल कर लाभांवित किया जा रहा है। ताकि वह आर्थिक रूप से सक्षम होकर देश और विदेश तक पढ़ाई पूरी कर सकें एवं परिवार पर बोझ न साबित हों। देश के सर्वोच्च प्रशासनिक पद आइएएस के लिए दिव्यांगों को निश्शुल्क कोचिग की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।

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हरदोई से सीएसएन कालेज में शुक्रवार को सामाजिक आधिकारिता शिविर एवं निश्शुल्क सहायक उपकरण वितरण शिविर में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि दिव्यांगों को मुख्यधारा में लाने के लिए सरकार पूरी तरह से प्रयासरत और कार्यक्रम एवं योजनाएं भी दी हैं। पूरे देश में सुविधा एवं सहूलियत के लिए यूनिवर्सल आइडेंटिटी कार्ड जारी कराए जा रहे हैं। वहीं सुगम्य भारत अभियान शुरू किया है। हवाई अड्डों, रेलवे एवं बस स्टेशनों आदि पर सगम्यता का काम किया गया है जिससे दिव्यांगों के साथ ही वरिष्ठ नागरिक एवं गर्भवती महिलाओं केा सुविधाएं मिल रहीं हैं। दृष्टिबाधित बच्चों को पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन में कोर्स भरकर दिए जा रहे हैं जिससे वह सुनकर पढ़ाई पूरी करते हैं और ब्रेललिपि से परीक्षा में शामिल हो रहे हैं।

कहा कि एलिम्को का लाभांश कभी दहाई में रह जाता था। अब 78 करोड़ रुपये हो गया है। सरकार ने दिव्यांगों को अत्याधुनिक सहायक उपकरण उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से जर्मनी की आटो एवं ब्रिटेन की मोटीवेशनल संस्था से ओएमयू किया है। जर्मन की संस्था की तकनीकी से कृत्रिम पैर तैयार कराए जा रहे हैं, जिन्हें लगाकर दिव्यांग लांगजंप तक लगा सकेंगे। ब्रिटेन की संस्था की तकनीकी से कृत्रिम हाथ बनवाए जा रहे हैं, जो सामान्य हाथ के प्रकार से काम करते हैं। उन्होंने 1074 दिव्यांगों को 2073 सहायक उपकरण बांटे। जिला दिव्यांग पुनर्वास केंद्र के भवन निर्माण के लिए प्रशासन से भूमि मिलते ही धनराशि स्वीकृति का आश्वासन भी दिया।


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