रोग प्रतिरोधक क्षमता कम एवं रोगी से खांसने, छींकने फैलती टीबी
ललहरपालपुर। 3कन वह ब्लॉक न आने के कारण बैरंग वापस लौट गया।
हरदोई : टीबी संक्रामक बीमारी है। माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया के कारण होती है, इसके बैक्टीरिया हवा में तेजी से फैलकर बीमारी को बढ़ावा देते हैं। फेफड़ों में होने वाली टीबी को पल्मोनरी टीबी कहा जाता है और जब यह शरीर के किसी दूसरे भाग में होती है तो इसे एस्ट्रा पल्मोनरी टीबी कहते हैं। इंडिया टीबी रिपोर्ट वर्ष-2018 के मुताबिक जिले में पब्लिक सेक्टर में 5881 रोगी चिह्नित हुए थे। जिनमें से 5287 रोगियों का उपचार किया गया।
इंडिया टीबी रिपोर्ट (पुनरक्षित राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम) के अनुसार जिले में वर्ष 2017 में पब्लिक सेक्टर में करीब 5881 मरीजों की पहचान हुई। जिसमें से लगभग 5287 करीब 90 फीसद का इलाज शुरू हुआ। कुल चिह्नित रोगियों में 96 फीसद मरीज पल्मोनरी टीबी से ग्रसित पाए गए, बाकी 4 फीसद में एक्स्ट्रा पल्मोनरी के लक्षण मिले। वहीं प्रदेश में यह संख्या पब्लिक सेक्टर में करीब 2,44,074 पाई गई। 1,80,082 का उपचार शुरू हुआ। प्रदेश में करीब 86 फीसद में पल्मोनरी और 14 फीसद एक्स्ट्रा पल्मोनरी टीबी पाई गई। रोग प्रतिरोधक क्षमता के कमजोर होने एवं रोगी के खांसने, छींकने एवं जूठा खाने से टीबी तेजी से फैलती है। क्षय रोग चिकित्सक डा. अमरजीत सिंह आजमानी का कहना है कि बचाव एवं समय से उपचार टीबी का निदान है। इसके लिए जिले में जांच एवं दवाओं की व्यवस्था उपलब्ध है। कहा कि लगातार खांसी एवं साथ में खून, शाम को बुखार आना, सीने में दर्द और कमजोरी के साथ सांस फूलने जैसे लक्षण पर संबंधित व्यक्ति को तुरंत क्षय रोग नियंत्रण कार्यालय में अपनी जांच करानी चाहिए।