मिट्टी हो रही बीमार, फसल कुपोषण की शिकार
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हरदोई : रसायनिक खाद मिट्टी को बीमार कर रही है। आर्गेनिक कार्बन न्यूनतम स्तर (0.25 प्रतिशत) पर पहुंच गया है, जबकि कई क्षेत्रों में जिंक, सल्फर की मात्रा भी काफी कम है। इससे पौधे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं। वहीं, दोगुनी आय का सपना देखने वालों किसानों बड़ा झटका लगा है।
कृषि विभाग के मृदा परीक्षण की प्रयोगशाला से चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। प्रयोगशाला प्रभारी रामवीर सिंह के अनुसार वित्तीय वर्ष 2016-17 और 2017-18 में छह लाख 32 हजार 212 किसानों के खेत से 1,15,534 नमूनों की जांच की गई। कई क्षेत्रों की मिट्टी में आर्गेनिक कार्बन 0.5 प्रतिशत से घटकर 0.25 प्रतिशत पहुंच गया। इसके चलते नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम आदि पोषक तत्वों में भी कमी आई है। संडीला और भरावन क्षेत्र में जिंक और सल्फर की अत्यधिक कमी है। वहीं, 2018-19 में 19 ब्लाकों से 13 हजार नमूने लिए गए थे, जिनमें सात हजार की जांच हुई है। पर मृदा स्वास्थ्य कार्ड अभी तक नहीं जारी किया गया।
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मिट्टी को चाहिए 12 पोषक तत्व :
कृषि वैज्ञानिक डॉ. सीपीएन गौतम बताते हैं कि मिट्टी में 12 पोषक तत्व होना जरूरी है, जिनमें आर्गेनिक कार्बन, नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटैशियम, सल्फर, जिक, बोरान, आयरन, मैगनीज, कॉपर आदि शामिल हैं। पैदावार बढ़ाने के लिए मिट्टी में नाइट्रोजन 0.5 प्रतिशत, फास्फोरस 0.1 प्रतिशत और पोटैशियम 0.5 प्रतिशत होना चाहिए। फास्फोरस की कमी से जड़ें कमजोर हो जाती हैं। पोटैशियम की कमी से पौधे की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है।
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ब्लॉक स्तरीय कर्मचारियों के माध्यम से मिट्टी की नमूने संग्रहित कराए जा रहे हैं। कर्मचारियों को खेतों में गोबर की खाद, ढैचा, वर्मी कंपोस्ट का प्रयोग करने को लेकर किसानों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं।
-डॉ. आशुतोष कुमार, उप निदेशक कृषि