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रामनगरिया मेले में धार्मिक अनुष्ठानों की बह रही बयार

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By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Jan 2020 10:43 PM (IST)Updated: Thu, 16 Jan 2020 10:43 PM (IST)
रामनगरिया मेले में धार्मिक अनुष्ठानों की बह रही बयार
रामनगरिया मेले में धार्मिक अनुष्ठानों की बह रही बयार

हरदोई : सर्दी का मौसम और ऊपर से बरसात, लेकिन भक्तों का उत्साह कम नहीं हो रहा है। कोहरे और शीतलहर के बीच राजघाट रामनगरिया पर चल रहे माघ मेले में चारों तरफ जय जयकार सुनाई पड़ रही है। मेले में हजारों की संख्या में लगे पंडाल व संतों के आश्रमों में पूजा-पाठ, हवन आदि के बीच धार्मिक अनुष्ठानों की बयार बह रही है, जो कल्पवासियों को आनंदित कर रही है। कल्पवासी भावविभोर होकर कथा का रसपान कर रहे हैं।

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पुराणों में मान्यता है कि तट पर कल्पवास करने वाले को सदाचारी, शांत मन वाला और जितेन्द्रिय होना चाहिए। जो कल्पवास की प्रतिज्ञा करता है वह अगले जन्म में राजा के रूप में जन्म लेता है और जो मोक्ष की अभिलाषा लेकर गंगा तट पर कल्पवास करता है उसे अवश्य मोक्ष मिलता है। शिवनाथ उर्फ बच्चा बाबा जी महाराज ने कहा कि गंगातट पर कल्पवास करने का नियम हजारों वर्षों से चला आ रहा है। कल्पवासी के मुख्य कार्य तप, होम और दान है। कल्पवास का विधान दरअसल, कल्पवास वेदकालीन अरण्य संस्कृति की देन है। वह वर्ष 1993 से राउटी (पंडाल)लगाते हैं और भंडारे का आयोजन करते आ रहे हैं। रामबाबू ब्रह्मचारी ने बताया कि कल्पवासियों को अपनी-अपनी इच्छानुसार लाभ होता है। नियमित गंगा स्नान से तमाम तरह की बीमारियां दूर होती है। गृहस्थों के लिए कल्पवास का विधान रखा गया है। इस दौरान गृहस्थों को थोड़े समय के लिए शिक्षा और दीक्षा दी जाती है। रामा आश्रम दंडी स्वामी ने कहा कि कल्पवासियों की मान्यता है कि मकर में सूर्य होता है तो गंगा का जल अमृत तुल्य हो जाता है। श्रद्धालु कल्पवास के दौरान नियमित गंगा मइया का पूजन अर्चन करते है और दान दक्षिणा करते है। रामचेतन ब्रह्मचारी ने बताया कि मां गंगा पवित्र पावनी है। यहां रहने वालों को सुखशांति की प्राप्ति होती है।


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