भारद्वाज व ऋषि वाल्मीकि मिलन लीला का किया मंचन
09 एचआररते हैं। आगे वन में भरद्वाज जी से मिलन होता है। निषाद को विदा करते हैं। भरद्वाज जी से मिलने के बाद भगवान रामजी का वाल्मीकि ऋषि से मिलन होता है। वाल्मीकि जी ने श्रीराम,लक्ष्मण, सीता का बहुत स्वागत किया। वाल्मीकि जी प्रभु राम से चित्रकूट पर रहने के लिए कहते हैं। लीला का संचालन विष्णु कुमार दत्तात्रेय ने किया। इस मौके पर रामप्रकाश शुक्ला, वियोग चंद्र मिश्रा, प्रेमशंकर द्ववेदी मौजूद रहे।
हरदोई : श्रीरामलीला मेला व प्रदर्शनी कमेटी के तत्वावधान में श्रीरामलीला मैदान में चल रही रामलीला मंचन में मंगलवार को भारद्वाज मिलन, वाल्मीकि मिलन व चित्रकूट निवास लीला का मंचन किया गया।
मंचन में दिखाया गया कि सबसे पहले श्रीराम निषाद राज से मिलते हैं। निषाद के द्वारा भगवान का बहुत स्वागत किया जाता है। उसके बाद राम जी गंगा नदी पर पहुंचते हैं। वहां पर केवट से मिलन होता है। केवट के द्वारा भगवान का पूजन होता है। केवट के परिवार द्वारा भगवान का स्वागत होता है। केवट भगवान के चरण धोता है उसके बाद राम जी सुमंत को अयोध्या के लिए वापस करते हैं। सुमंत अयोध्या के लिए वापस चल देते हैं। उधर भगवान रामजी नाव में बैठकर गंगा पार हो जाते हैं। फिर रामजी आगे के लिए प्रस्थान करते हैं। आगे वन में भरद्वाज जी से मिलन होता है। निषाद को विदा करते हैं। भरद्वाज जी से मिलने के बाद भगवान रामजी का वाल्मीकि ऋषि से मिलन होता है। वाल्मीकि जी ने श्रीराम,लक्ष्मण, सीता का बहुत स्वागत किया। वाल्मीकि जी प्रभु राम से चित्रकूट पर रहने के लिए कहते हैं। लीला का संचालन विष्णु कुमार दत्तात्रेय ने किया। इस मौके पर रामप्रकाश शुक्ला, वियोग चंद्र मिश्रा, प्रेमशंकर द्विवेदी मौजूद रहे।