मेरो तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई
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हरदोई : रासलीला में मीरा की भक्ति देख दर्शक मंत्र मुग्ध हो गए। मीरा के चरित्र की कलाकारों बहुत रोचक ढंग से प्रस्तुति की। मंचन से वातावरण भक्तिमय हो गया।
नारायण धाम में रासलीला का मंचन किया जा रहा है। रासलीला में रासाचार्य पंडित बृजेश कौशिक ने मीरा चरित्र के प्रसंग का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि मीरा पूर्व जन्म में श्रीराधारानी के गांव बरसाना के पास चिकसौली गांव की गोपी थीं। मीरा का नंद गांव के एक गोप से विवाह हुआ, तो ससुराल जाते समय गोवर्धन पूजा के दौरान गोपी ने गिरिराज पर्वत उठाए कृष्ण के दर्शन किए, तो कृष्ण ने अगले जन्म में अपनी भक्ति का वरदान दिया। लीला में दिखाया गया कि अगले जन्म में उस गोपी ने राजस्थान के मेड़ता गांव में पिता रतनसिंह के परिवार में मीरा के रूप में जन्म लिया। मीरा का मन बचपन से ही गिरधर गोपाल में रमा था और पिता ने उनका विवाह मेवाड़ के राजा संग्राम सिंह के पुत्र भोजराज के साथ करा दिया। भोजराज की मृत्यु के बाद उनके छोटे भाई विक्रम ने राजकाज संभाला और मीरा की गिरधर गोपाल की भक्ति में लीन रहने की वजह से वह मीरा से बहुत नफरत करता था। जिस वजह से उसने मीरा को विभिन्न प्रकार से परेशान किया। एक बार राजा विक्रम ने मीरा को मारने के लिये प्रसाद में विष मिलाकर दिया। मीरा विष को भी श्रीकृष्ण का प्रसाद जानकर पी जाती है। वहां प्रकट हुए श्रीकृष्ण का गला विष की वजह से नीला हो जाता है और मीरा पर विष का कोई असर नही होता है। मीरा मेड़ता को छोड़कर श्री वृन्दावन धाम को आ जाती है और भगवान श्रीकृष्ण के भजनों को गाते हुए शेष जीवन भक्ति रस में लीन रहकर बिताती हैं। गोपामऊ विधायक श्याम प्रकाश ने पूजन किया। रासलीला देखने भाजपा जिलाध्यक्ष सौरभ मिश्र, उपाध्यक्ष अजय अवस्थी, धर्मेश मिश्रा, लल्ला सिंह, भाजयुमो अध्यक्ष आकाश सिंह, अचल अग्रवाल, अतुल सिंह, विपिन सिंह, जीतेश दीक्षित, प्रीतेश दीक्षित, सत्येंद्र गुप्ता, रूपेश दीक्षित, आशीष गुप्ता कई लोग मौजूद रहे। आयोजक कृष्ण अवतार दीक्षित ने भक्तगणों का आभार व्यक्त किया।