खुशियों की आस में राह ताक रहीं बेटियां
-सड़क किनारे दुकान लगाए बेटियों से खरीदें सामान
हरदोई: कोई चूरा बेच रही तो कोई मिट्टंी के बर्तन। सड़क किनारे इन सामग्री के साथ दुकान सजाए बैठीं इन बेटियों को उम्मीद है कि अच्छी बिक्री होने से उनकी भी दिवाली अच्छे से मन जाएगी।
महात्मा गांधी मार्ग निवासी अंजली के सिर से 10 वर्ष पहले पिता रमेश का साया उठ गया। माता लल्ली भी बीमार रहने लगीं। घर की आर्थिक स्थित काफी खराब थी। सातवीं की पढ़ाई छोड़ अंजली ने फुटपाथ पर मिट्टी के बर्तन बेचने का काम शुरू किया और इसे कमाई का जरिया बनाया। कहती हैं कि दिवाली पर उससे लोग बर्तन खरीद लेंगे तो उसके घर में भी खुशियां आ जाएंगी।
रेलवेगंज निवासी लक्ष्मी ने फुटपाथ पर मिट्टी के बर्तन बेचने का काम करती हैं, जिससे कुछ कमाई हो जाती है। इसके अलावा घरों में काम कर अपने बच्चों का पालन पोषण कर रही हैं। मदद के लिए वह हाथ नहीं फैलातीं। उम्मीद है कि उसके घर भी खुशियां आएंगी।
बघौली के उमरापुर निवासी दयाशंकर की पुत्री रोशनी चार बहनों में तीसरे नंबर की है। रोशनी बतातीं है कि उसकी मां का निधन 12 साल पहले हो गया। पिता ने दूसरी शादी कर ली। पिता ने मां-बाप का प्यार दिया। वह कुम्हार का काम करते हैं और उनकी कमाई इतनी नहीं है परिवार का ठीक ढंग से पालन पोषण हो सके। दो बड़ी बहनों की शादी हो गई, जबकि वह और छोटी बहन अपने पिता का हाथ बंटाती है। मिट्टी के बर्तन बेचकर वह दो से तीन हजार रुपये प्रतिमाह कमा लेती है।