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कमरा बंद कर युवक ने लगाई फांसी, पुलिसकर्मी की सतर्कता से ऐसे बची जान Hardoi News

हरदोई कोतवाली क्षेत्र में एक युवक ने घरेलू कलह से परेशान होकर फांसी लगा ली। जिसकी जानकारी पर पहुंची पुलिस ने उसे फंदे से उतारा और अपनी सतर्कता से उसकी जान बचाई।

By Divyansh RastogiEdited By: Published: Wed, 21 Aug 2019 03:34 PM (IST)Updated: Wed, 21 Aug 2019 03:34 PM (IST)
कमरा बंद कर युवक ने लगाई फांसी, पुलिसकर्मी की सतर्कता से ऐसे बची जान Hardoi News
कमरा बंद कर युवक ने लगाई फांसी, पुलिसकर्मी की सतर्कता से ऐसे बची जान Hardoi News

हरदोई, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में एक पुलिस कर्मी ने अपनी सतर्कता से युवक की जान बचा ली। पहले फांसी पर लटके युवक को फंदे से उतारा। बिना एक क्षण गवाए सीपीआर दिया। उसके बाद आननफानन में उसेअस्‍पताल लेकर भागे। वहीं, डॉक्टर मनोज देशमणि ने बताया कि पुलिस ने सही समय पर पहुंचकर युवक को उतार लिया। वरना जा सकती थी जान। अब शिवकुमार की हालत ठीक है। उसका लखनऊ में उपचार चल रहा है।

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पत्‍नी से हुआ था विवाद, पति ने लगा ली फांसी

मामला ग्राम धन्नूपुरवा का है। यहां शिवकुमार पुत्र सुंदरलाल पत्नी रजनी और चार बच्चे के साथ रहता है। सब्जी मंडी में काम करके परिवार चल रहा है। परिवारजनों ने बताया कि शिवकुमार शराब का आदी है। जिस कारण आए दिन नशे में रजनी से विवाद होता रहता है। मंगलवार की सुबह पत्नी से विवाद हुआ और इसके बाद शिवकुमार ने कमरे का दरवाजा बंद कर दुपट्टे से फांसी लगा ली। दरवाजा न खुलने पर पत्नी ने पुलिस को घटना की जानकारी दी। जिसके बाद राधा नगर चौकी इंचार्ज योगेश सिरोही, सिपाही सत्येंद्र और कुलदीप मौके पर पहुंचे। 

मौके पर सीपीआर देकर बचाई जान 

खटखटाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला। उसे तोड़कर अंदर घुसते ही फंदे पर लटके शिवकुमार को सभी दंग रह गए। आननफानन में पुलिसकर्मी ने फंदा खोलकर उसे नीचे उतारा। बिना एक क्षण गवाए पुलिस कर्मी ने शिवकुमार को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन) दिया। इसके बाद उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। डॉक्टर मनोज देशमणि ने बताया कि पुलिस ने सही समय पर पहुंचकर युवक को उतार लिया। इलाज किया जा रहा है। उधर, पत्नी ने बताया कि शिवकुमार शराब के नशे में आए दिन मारते पीटते हैं। इस बात को लेकर विवाद हुआ करता है।

4 मिनट तक दिया सीपीआर, एसपी ने किया सिपाही को पुरस्कृत 
सिपाही सतेंद्र कुमार ने बताया कि सूचना मिलते ही तीन मिनट के अंदर पुलिस चौकी से युवक के घर पहुंच गया। फंदे से उतार कर गाड़ी बुलाई और 4 मिनट तक उसको प्राथमिक उपचार (सीपीआर) करता रहा। इसके बाद आननफानन में 13 मिनट के अंदर अस्पताल पहुंचा दिया। उधर, एसपी आलोक प्रियदर्शी ने सिपाही की सतर्कता के लिए उसे ढाई हजार रुपये का पुरस्कार दिया है।

कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) क्या है ?
सीपीआर एक आपातकालीन स्थिति में प्रयोग की जाने वाली प्रक्रिया है जो किसी व्यक्ति की धड़कन या सांस रुक जाने पर प्रयोग की जाती है। सीपीआर में बेहोश व्यक्ति को सांसें दी जाती हैं, जिससे फेफड़ों को ऑक्सीजन मिलती है और साँस वापस आने तक या दिल की धड़कन सामान्य होने तक छाती को दबाया जाता है जिससे शरीर में पहले से मौजूद ऑक्सीजन वाला खून संचारित होता रहता है।

सीपीआर देने कर तरीका 
सीपीआर में व्यक्ति की छाती को दबाना और उसे मुंह से सांस देना शामिल होते हैं। बच्चों और बड़ों को सीपीआर देने का तरीका थोड़ा अलग होता है।

सीपीआर कब देना चाहिए

  • अचानक गिर जाना - व्यक्ति के अचानक गिर जाने पर उसकी सांस और नब्ज देखें।
  • बेहोश होना - बेहोश होने पर व्यक्ति को होश में लाने की कोशिश करें और अगर वह होश में न आए, तो उसकी सांस और नब्‍ज देखें।
  • सांस की समस्याएं - सांस रुक जाना या अमियमित सांस लेने की स्थिति में सीपीआर देने की आवश्यकता होती है।
  • नब्‍ज रुक जाना - अगर व्यक्ति की नब्‍ज नहीं मिल रही है, तो हो सकता है उसके दिल ने काम करना बंद कर दिया हो। ऐसे में व्यक्ति को सीपीआर देने की आवश्यकता हो सकती है। 
  • करंट लगने पर - अगर किसी व्यक्ति को करंट लगा है, तो उसे छुएं नहीं। लकड़ी की मदद से उसके आसपास से करंट के स्त्रोत को हटाएं और इस बात का ध्यान रखें कि किसी भी वस्तु में करंट पास न हो सके।
  • डूबना, ड्रग्स व धुंए के संपर्क में आना - इन स्थितियों में व्यक्ति की नब्‍ज व सांस की जांच करें। उसे सीपीआर की आवश्यकता हो सकती है।

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