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राजा का काम ये नहीं कि वो दलित के घर खाना खाए..

स्वर्गीय बाबू श्रीशचंद्र अग्रवाल के 100 वें जन्म दिवस पर रसखान प्रेक्षागृह में आयोजित हास्यकवि सम्मेलन में देश के सुप्रसिद्ध कवि सुरेंद्र शर्मा ने हास्य रस के माध्यम से व्यवस्था पर कटाक्ष किए। उन्होंने कविता के माध्यम से संस्कार भी सिखाएं। वहीं प्रसिद्ध कवि डा. सुनील जोगी की मां की कविता लोगों के दिलों को छू गई।

By JagranEdited By: Published: Sat, 09 Feb 2019 10:12 PM (IST)Updated: Sat, 09 Feb 2019 10:12 PM (IST)
राजा का काम ये नहीं कि वो दलित के घर खाना खाए..
राजा का काम ये नहीं कि वो दलित के घर खाना खाए..

हरदोई: स्व. बाबू श्रीशचंद्र अग्रवाल की 100वीं जयंती पर रसखान प्रेक्षागृह में आयोजित हास्य कवि सम्मेलन में देश के सुप्रसिद्ध कवि सुरेंद्र शर्मा ने हास्य रस के माध्यम से व्यवस्था पर कटाक्ष किए। उन्होंने कविता के माध्यम से संस्कार भी सिखाए। वहीं प्रसिद्ध कवि डा. सुनील जोगी की मां की कविता लोगों के दिलों को छू गई।

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कवि सम्मेलन का शुभारंभ पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल व ख्याति प्राप्त कवि सुरेंद्र शर्मा ने किया। कवि सम्मेलन की शुरुआत फर्रुखाबाद से आईं कवयित्री डॉ. गरिमा पांडेय ने वाणी वंदना से की। हास्य कवि पदमश्री सुरेंद्र शर्मा की रचनाओं पर श्रोताओं ने जमकर ठहाके लगाए। हास्य कवि ने राजा का काम ये नहीं कि वो दलित के घर खाना खाए, राजा ऐसा काम करे कि दलित भी उसके जैसा खाना खाए। मुंबई से आए डा. सुनील जोगी ने अपनी मां के ऊपर लिखी चर्चित कविता मां मेरे सारे प्रश्नों का फौरन जवाब बन जाती थी, मेरे राहों के कांटे चुन वो खुद गुलाब बन जाती थी' रचना पढ़ी, जो लोगों के दिलों को छू गई। लखनऊ से आए व्यंग्यकार राजेंद्र पंडित ने स्वच्छता अभियान पर कटाक्ष करते हुए ''खाया अपना खेत हमारा और स्वयं का लोटा। सुबह-सुबह जैसे ही मैं पहुंचा बांध लंगोटा। चार सिपाही सहित दारोगा जी ने छापा मारा। नीरव मोदी वाला गुस्सा मुझ पर खूब उतारा, रचना पढ़ श्रोताओं को जमकर हंसाया। दिल्ली से आए डा. प्रवीण शुक्ल ने पढ़ा-मैंने जिनसे कहा यदि संभव हो तो भ्रष्टाचार मिटा दो, जिन बोला मैं बोतल में घुस रहा हूं तुम ढक्कन लगा दो, रचना पढ़ श्रोताओं को खूब गुदगुदाया। आगरा से आए गीतकार रामेंद्र त्रिपाठी ने जमी पर सलीके से जो चल न पाए, समंदर में वो रास्ता चाहते हैं गीत पढ़ श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। जिले के हास्य कवि अजीत शुक्ल ने राजनीति पर कटाक्ष करते हुए कहा साधु जैसी छवि से मिलेगा लाभ इस हेतु, हिरण की खाल में सियार घूमने लगे। एक बार हमको जिता दो कह कहकर ¨सह मेमनों के भी चरण चूमने लगे' कविता ने श्रोताओं को लोटपोट कर दिया। पवन कश्यप ने खो गया मैं मुझे कुछ खबर न रही, सच कहूं अब तो मैं बेखबर हो गया कविता पढ़कर वाहवाही लूटी। पूर्व पालिकाध्यक्ष रामप्रकाश शुक्ला ने कवियों का आभार जताया। इस मौके पर जिलाधिकारी पुलकित खरे, एसपी आलोक प्रियदर्शी, भाजपा जिलाध्यक्ष सौरभ मिश्रा, जिला पंचायत के पूर्व अध्यक्ष मुकेश अग्रवाल, पूर्व पालिकाध्यक्ष उमेश अग्रवाल, पालिकाध्यक्ष सुखसागर मिश्र मधुर, भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राजीवरंजन मिश्र आदि मौजूद रहे।


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