जिले की स्वच्छता के लिए अपना रहे कपड़ा वाले थैला
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हरदोई : पॉलीथिन वातावरण के साथ ही स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है, यह बात अब लोगों की समझ में आने लगी है। वैसे भी 2 अक्टूबर को गांधीजी की 150वीं जयंती से प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान की शुरूआत होनी है। पॉलीथिन का प्रयोग करने वाले दुकानदारों के साथ ही ठेला एवं फुटपॉथ पर दुकान लगाने वालों ने भी पॉलीथिन को बाय-बाय कह दिया है। ग्राहकों की सुविधा के लिए कपड़ा के थैला एवं कागज के लिफाफा रखने शुरू कर दिए हैं। हालांकि रेडीमेड नमकीन, चिप्स एवं कुरकरे और बिस्कुट आदि की पैकिग अभी भी दुकानों पर दिख रही हैं।
बुधवार को गांधी जयंती है और इसी दिन से प्लास्टिक मुक्त भारत बनाए जाने का अभियान चलाया जाना है। ऐसे में सोमवार को शहर में बड़े दुकानदारों से लेकर ठेला और फुटपॉथ पर दुकान लगाने वाले दुकानदारों के यहां सामग्री की खरीदारी करने वालों पर जब नजर डाली गई तो उनमें बदलते भारत की तस्वीर भी झलकती दिखी। ठेला और फुटपॉथ पर दुकान लगाने वालों के यहां तो खुले तौर पर कपड़ा के थैला रखे दिखे। कुछ थैला काले रंग होने पर भ्रम हुआ तो देखने पर पता चला कि वह भी कपड़ा के ही हैं।
दुकानदारों का कहना है कि देश से बढ़कर कुछ भी नहीं है। फिर पॉलीथिन वातावरण एवं स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी तो है। बोले कि जब भी अभियान चला है तो 20 रुपये की पॉलीथिन पर 500 से 1000 रुपये तक जुर्माना लगा और पुलिस का भय अलग से दिखाया जाता था। कपड़ा के थैला एवं कागज के लिफाफा प्रयोग में लाने से जुर्माना और कार्रवाई से भी मुक्ति मिल गई है।