कुंडी खटकाते रहे प्रत्याशी, रुख भांपते रहे मतदाता
चुनाव प्रचार भी खूब हुआ लेकिन मतदाता जिस पल के इंतजार में थे वह आ गया
हरदोई: पांच साल सुनते और देखते रहे। कई पुराने वादे भूलकर नए लेकर मैदान में आए तो बहुत नए-नए प्रत्याशियों ने मतदाताओं को खूब सपने दिखाए। चुनाव प्रचार भी खूब हुआ, लेकिन मतदाता जिस पल के इंतजार में थे वह आ गया। बुधवार की रात तो गांव में कोई सो ही नहीं पाया। प्रत्याशी पूरी रात कुंडी खटकाते रहे, तो मतदाता भी माहौल का रुख भांपते रहे।
चुनाव प्रचार तो काफी दिनों से हो रहा था, लेकिन होली के बाद से तो घमासान ही मच गया। 15 तारीख की तरफ बढ़ते दिन प्रत्याशियों की धड़कन बढ़ाते रहे। हर दिन गांवों का चुनावी माहौल बनता और बिगड़ता गया। एक एक मतदाता को अपने पक्ष में करने के लिए प्रत्याशी लगे रहे तो मतदाता भी प्रत्याशियों को देखते रहे।
जीत की गणित बैठाने में लगे रहे समर्थक: हरदोई: गांवों में कुर्सी को लेकर घमासान मचा। बुधवार को अंतिम दिन प्रत्याशी ही नहीं मतदाता भी चर्चाओं में जुटे हैं। हर कोई अपनी अपनी बात कह रहा है और किसी की मानने को तैयार नहीं है। कोई जातिगत आंकड़ों को आधार बनाते हुए गणित लगा रहा है तो कोई संबंधों पर समीकरण जोड़ रहा है। प्रत्याशी प्रचार के दौरान मतदाताओं की सेवा के हिसाब से भी वोट जोड़ रहे हैं। चुनाव में कुछ खुले हैं तो कुछ चुपचाप मदद कर रहे हैं, लेकिन तीसरी तरह के ऐसे मतदाता जो पूरी तरह से चुप्पी साधे हैं, उन्हें कोई भांप नहीं पा रहा है। हर प्रत्याशी उनके यहां के चक्कर काट रहा है और हर तरह से उन्हें मनाने में जुटा है। यह मतदाता भी चर्चा का आधार बने हुए हैं। हालांकि गांवों में कोई किसी की मानने को तैयार नहीं है। हर कोई अपने अपने हिसाब से आंकड़ा लगा रहा है।