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फावड़ा बना बुढ़ापे की लाठी

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By JagranEdited By: Published: Mon, 30 Sep 2019 10:14 PM (IST)Updated: Mon, 30 Sep 2019 10:14 PM (IST)
फावड़ा बना बुढ़ापे की लाठी
फावड़ा बना बुढ़ापे की लाठी

हरदोई: जीवन के अंतिम पड़ाव पर जिन्हें आराम और देखभाल की जरूरत थी, वो मेहनत करने को मजबूर हैं। सूबे में लाखों बुजुर्ग ऐसे हैं जो अपने या परिवार के गुजर-बसर के लिए मजदूरी कर रहे हैं। फावड़ा ही इनके बुढ़ापे की लाठी बन गया है। मनरेगा के आंकड़े ऐसा ही बता रहे हैं। जिले में ऐसे बुजुर्गो की संख्या 27315 है।

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आंकड़ों के मुताबिक, जिले में 80 की उम्र पार कर चुके बुजुर्गों ने भी काम किया है। ऐसे 744 बुजुर्ग मनरेगा में पंजीकृत हैं। इनमें से 68 ने काम भी किया है। वहीं 60 से अधिक की उम्र वाले जॉब कार्ड धारकों को देखे तो एक लाख 71 हजार से अधिक श्रमिक जिले में पंजीकृत हैं। इनमें से 27247 बुजुर्गों ने फावड़ा उठाकर पसीना बहाया है।

प्रदेश में भर का यही हाल

मनरेगा में पंजीकृत एवं काम करने वाले श्रमिकों को देखे तो प्रदेश में 80 उम्र के पार के 27527 बुजुर्ग पंजीकृत हैं। इनमें से 2835 बुजुर्गों ने काम किया है। 60 से 80 वर्ष के बुजुर्गों में 2451899 मजदूर पंजीकृत हैं। इनमें से 249760 ने काम किया है। वर्जन-

मनरेगा जॉब कार्ड धारकों को उम्र की अधिकता पर हल्के काम लिए जाने की व्यवस्था दी गई है। हालांकि, बुजुर्ग खुद को किसी से कमजोर नहीं मानते हैं और सभी प्रकार के कार्यों में मजदूरी के लिए तैयार रहते हैं।

- पुलकित खरे, जिलाधिकारी


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