सचित्र : 17 लाख की वसूली बनी जी का जंजाल
विभाग ने कंसोर्टियम ऋण के तहत वितरित किए थे ऋण -छोटे-छोटे धंधों के लिए दी गई राशि को बकाएदारों ने नहीं किया वापस
हरदोई: करीब 25 साल पहले स्वरोजगार देने की योजना कंसोर्टियम बैंक क्रेडिट (सीबीसी) यानी कि छोटे कामों के लिए लिया गया ऋण, अब खादी ग्रामोद्योग कार्यालय के लिए जी का जंजाल बन गई है। योजना के तहत वितरित की गई 17 लाख की राशि विभागीय अधिकारियों के लिए सरदर्द बन गई है। विभागीय अधिकारियों ने बताया कि वसूली इसलिए मुश्किल लग रही है कि 15 बकाएदार जहां लापता हैं वहीं 20 परलोक सिधार चुके हैं।
वर्ष 1996-97 के मध्य शासन के निर्देश पर खादी ग्रामोद्योग विभाग ने धोबी, नाई, मोची से लेकर डीजल इंजन मैकेनिक के साथ बड़े व्यवसाय के लिए भी बैंकों से ऋण दिलवाना शुरू किया था। जरूरतमंदों को सीबीसी योजना के तहत ऋण दिलवाया गया। एक साल में विभाग ने करीब 38 लाख का ऋण बांट दिया। इसके बाद योजना पर ब्रेक लगा दिया गया। कुछ ने कई साल ब्याज की किश्तें भरीं तो कई नजरअंदाज करने लगे। विभाग ने भी इसे जमा करने में सख्ती नहीं बरती। नतीजा यह हुआ कि 38 लाख में से 21 लाख ही वापस आए। शेष 17 लाख की राशि आज तक नहीं जमा हो पाई। अब तक करीब 66 लोगों को नोटिस जारी हुईं। कइयों को आरसी भी जारी की गई लेकिन इनमें से 20 लोगों की आरसी वापस आ गईं। बताया गया कि उनकी मृत्यु हो चुकी है। 15 ऐसे भी मिले जो लापता हैं। अब 31 लोगों से 17 लाख की वसूली करने की चुनौती विभाग के सामने है। इंसेट
बकायेदारों की सूची तैयार
जिला खादी ग्रामोद्योग अधिकारी आरके श्रीवास्तव ने बताया कि बकायेदारों की सूची तैयार है। जो खोजे मिल रहे हैं उनसे वसूली को लेकर कहा जा रहा है। वसूली न होने पर आरसी एक बार फिर से जारी की जाएगी। यहां की स्थितियों से उच्च अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है।