Move to Jagran APP

जिला महिला अस्पताल में एक भी महिला डॉक्टर नहीं

ठ्ठश्र द्यड्डस्त्रद्बद्गह्य स्त्रश्रष्ह्लश्रह्म ठ्ठश्र द्यड्डस्त्रद्बद्गह्य स्त्रश्रष्ह्लश्रह्म ठ्ठश्र द्यड्डस्त्रद्बद्गह्य स्त्रश्रष्ह्लश्रह्म

By JagranEdited By: Published: Fri, 06 Sep 2019 10:20 PM (IST)Updated: Fri, 06 Sep 2019 10:20 PM (IST)
जिला महिला अस्पताल में एक भी महिला डॉक्टर नहीं
जिला महिला अस्पताल में एक भी महिला डॉक्टर नहीं

हरदोई : नाम जिला महिला अस्पताल और तैनाती एक भी महिला डाक्टर की नहीं। जिलेभर से प्रसव के लिए पहुंचने वाली महिलाओं के सिजेरियन होने की स्थिति में आवश्यक रूप से मौजूद रहने वाले एनेस्थिीसिया या बच्चों के डाक्टर की भी कोई तैनाती नहीं। यही नहीं कुल स्वीकृत छह पदों के सापेक्ष मात्र दो पुरुष डाक्टरों के सहारे पूरे जिले की आधी आबादी के सेहत की देखभाल की जिम्मेदारी संभालने वाले संस्थान की इस हालत से आप बखूबी समझ सकते हैं कि दिन रात मरीजों को बेहतर सुविधाएं देने का दावा करने वाली सरकारें आप के प्रति कितनी चिंतित हैं।

loksabha election banner

2011 की जनगणना के अनुसार जिले की कुल आबादी करीब 40 लाख है जिसमें से 19 लाख एक हजार चार सौ तीन महिलाएं हैं। इन महिलाओं के इलाज के लिए पूरे जिले में मुख्यालय पर मात्र एक महिला अस्पताल है। जिसमें कुल छह डाक्टरों की तैनाती की स्वीकृति है। औसतन महिला अस्पताल में प्रतिदिन 50 से अधिक प्रसूताएं भर्ती की जाती हैं और इसकी चार गुना महिलाएं ओपीडी में परामर्श के लिए आती हैं। वर्तमान में इन महिलाओं के इलाज के लिए पूरे अस्पताल में मात्र दो डाक्टर तैनात हैं। वैसे तो अस्पताल में पहले से ही डॉक्टरों की कमी थी, लेकिन तीन सीएचसी के डॉक्टरों को संबद्ध कर किसी तरह काम चलाया जा रहा था। बीच में सरकार ने डॉक्टरों के संबद्धीकरण पर रोक लगा दी। ऐसे में जो महिला डाक्टर यहां संबद्ध थीं, उन्हें उनके मूत तैनाती स्थल पर भेजने का आदेश जारी कर दिया गया। जिसके बाद अस्पताल में बावन सीएचसी पर तैनात गीता यादव, टड़ियावां सीएचसी पर तैनात श्वेता तिवारी और बिलग्राम सीएचसी पर तैनात स्मिता सिंह को उनके तैनाती स्थल पर भेज दिया गया। जबकि अस्पताल में सर्जन विशी रावत ने त्याग पत्र दे दिया। ऐसे में प्रसव के दौरान महिलाओं के आपरेशन की स्थिति में बेहोशी के डाक्टर और बच्चों के विशेषज्ञ की मौजूदगी अनिवार्य होती है। जबकि दोनों में से एक की भी तैनाती नहीं है। अब अस्पताल में तैनात डॉक्टर वीके चौधरी और डॉक्टर सुबोध कुमार सिंह ही प्रसव कराएंगे। इससे प्रसूताओं के साथ उनके परिवार वाले भी असहज महसूस करते हैं लेकिन सरकार को इसकी फिक्र नहीं। सीएमएस डा. रविद्र सिंह कहते हैं कि शासन को डॉक्टरों की कमी से अवगत करा दिया गया है। संविदा पर तैनात डॉक्टर की तैनाती की गई है। जिससे प्रसूताओं को दिक्कत न हो। आयुष डाक्टर देते हैं परामर्श : महिला अस्पताल में आने वाली प्रसूताओं को आयुष के डॉक्टर परामर्श दे रहे हैं। आयुष डॉक्टरों के सहारे ओपीडी तो चल जाती है, लेकिन प्रसव कराने के लिए हर समय डॉक्टर की आवश्यकता पड़ती है, जो रामभरोसे चल रही है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.