Move to Jagran APP

हाईटेक व्यवस्थाएं फिर भी खतरे पड़ जाती मासूमों की जान

ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4 ठ्ठश्र द्घद्गष्द्बद्यद्बह्ल4

By JagranEdited By: Published: Mon, 03 Feb 2020 10:17 PM (IST)Updated: Tue, 04 Feb 2020 06:08 AM (IST)
हाईटेक व्यवस्थाएं फिर भी खतरे पड़ जाती मासूमों की जान
हाईटेक व्यवस्थाएं फिर भी खतरे पड़ जाती मासूमों की जान

हरदोई : जिला अस्पताल में गंभीर बीमारी या संक्रमण से ग्रसित मासूमों के लिए पीडियाट्रिक वार्ड बनाया गया। जहां पर आधुनिक मशीनों के साथ ही सांस लेने में दिक्कत होने पर नवजात के लिए वेंटिलेटर लगाए गए हैं, लेकिन यह शोपीस बनकर रह गए हैं। ऑक्सीजन प्वाइंट और वेंटीलेटर को कनेक्ट करने के लिए न तो डिवाइस ही हैं और न ही मरीजों का इलाज करने के लिए पीडियाट्रिशियन हैं। इनके न होने चलते गंभीर नवजात शिशुओं की जान खतरे में पड़ जाती है और उन्हें लखनऊ भेज दिया जाता है। वहीं कुछ नवजात अस्पताल में ही दम तोड़ देते हैं।

loksabha election banner

अस्पताल में पीडियाट्रिक वार्ड की वर्ष 2018 में शुरुआत की गई थी। जिसके बाद यहां पर पांच वेंटिलेटर, दो वार्मर, दो ऑक्सीजन कांसिट्रेटर, दो वेट मशीन और ऑक्सीजन प्वाइंट के साथ ही ऑक्सीजन सिलिडर की व्यवस्था की गई। वार्ड में 24 घंटे स्टाफ नर्स के साथ ही स्वास्थ्य कर्मी मौजूद रहते हैं, लेकिन पीडियाट्रिशियन के न होने के कारण बाल रोग विशेषज्ञ मासूमों का उपचार कर रहे हैं। जो 24 घंटे वार्ड में नहीं रहते हैं। जब कभी किसी शिशु की हालत गंभीर होती है तो डॉक्टर को फोन कर बुलाया जाता है। पिछले वर्ष वेंटिलेटर तो आ गए, लेकिन ऑक्सीजन प्वाइंट से कनेक्टर करने के लिए डिवाइस नहीं आई हैं। जिस कारण वेंटिलेटरों का संचालन नहीं शुरू हो सका है। ऐसे में जब नवजात शिशुओं को सांस लेने में दिक्कत होती है तो ऑक्सीजन कांसिट्रेटर का प्रयोग किया जाता है पर जब बच्चे स्वयं सांस नहीं ले पाते तो वेंटिलेटर होने के बावजूद उन्हें लखनऊ रेफर कर दिया जाता है जिसमें अधिकतर नवजात दम तोड़ देते हैं। यह है वर्ष 2029 में भर्ती मरीजों का आंकड़ा

भर्ती - 847

डिस्चार्ज - 296

ट्रांस्फर - 371

रेफर - 53

मौत - 25

लामा - 87

बिना बताए चले गए- 15 बोले जिम्मेदार : पीकू वार्ड में भर्ती शिशुओं को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। वेंटिलेटर मशीनें उपलब्ध हैं। पीडियाट्रिशियन न होने के कारण समस्या आ रही है। शासन को पत्र लिखा गया है। जल्द ही पीडियाट्रिशियन आने की उम्मीद है।

---डॉ. एके शाक्य, सीएमएस


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.