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जन्म के समय शिशु की चुप्पी, खतरे की घंटी

जागरण संवाददाता हरदोई जन्म के समय शिशु की चुप्पी उसके जीवन के लिए खतरे की घंटी हो

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 11:02 PM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 11:02 PM (IST)
जन्म के समय शिशु की चुप्पी, खतरे की घंटी
जन्म के समय शिशु की चुप्पी, खतरे की घंटी

जागरण संवाददाता, हरदोई : जन्म के समय शिशु की चुप्पी उसके जीवन के लिए खतरे की घंटी हो सकती है। ऐसे में समय पर ध्यान देना जरूरी है। महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में रोजाना ऐसे बच्चे भर्ती होते हैं, कभी-कभी समय से उपचार न मिल पाने पर उनकी जान भी चली जाती है। गर्भवती महिलाओं के परामर्श से लेकर उपचार तक की सभी सुविधाएं सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध हैं, लेकिन स्वजन की लापरवाही के चलते न तो उनकी जांचे हो पाती हैं और न ही उपचार मिल पाता है। ऐसे में प्रसव के समय मां और शिशु दोनों के लिए खतरा बना रहता है। जन्म के समय कभी-कभी शिशु के मुंह में पानी चला जाता है और कई समस्याएं होती है, जिस कारण शिशु नहीं रोता है और समय से उसे इलाज न मिल पाने के कारण उसकी जान को खतरा बढ़ जाता है। जन्म के समय शिशु का रोना बेहद जरूरी होता है। बढ़ रहा मृत्यु दर का आंकड़ा : महिला अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में नौ माह में लगभग 62 शिशुओं की इलाज के दौरान मौत हुई। इसमें बहुत से ऐसे बच्चे थे, जो जन्म के समय नहीं रोए और उनके शरीर को पूरी आक्सीजन नहीं मिल सकी। वहीं बहुत से ऐसे बच्चे भी हैं, जिनका कम समय में ही जन्म हो गया। डाक्टर की सलाह : गर्भधारण करते ही महिला को अपनी जांच करानी चाहिए, जांच में अगर खून की कमी होती है तो उसे हरी सब्जियां और दवाओं का सेवन करना चाहिए। साथ ही समय-समय पर अल्ट्रासाउंड भी कराना चाहिए। संस्थागत प्रसव से जच्चा-बच्चा दोनों स्वस्थ रहेंगे।

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डा. आशीष वर्मा, बाल रोग विशेषज्ञ


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