हजरत अब्बास की मौत का बयां हुआ दर्दनाक मंजर
हरदोई : संडीला में मुहर्रम की आठ तारीख को आयोजित मजलिस में हजरत अब्बास की बहादुरी व उ
हरदोई : संडीला में मुहर्रम की आठ तारीख को आयोजित मजलिस में हजरत अब्बास की बहादुरी व उनकी शहादत का मंजर पेश किया गया, जिसे सुनकर सबकी आंखें नम हो गई। इसके पहले सौदागरान के इमामबाडे़ से तख्त का जुलूस निकाला गया।
मुहल्ला मंडई स्थित डा. परवेज के अजाखाने में हजरत अब्बास का ताबूत रखा जाता हैं जो वहां से उठकर और एक चक्कर लगाकर वापस उनके इमामबाडे़ में पहुंच जाता हैं, वहीं पर दर्दनाक नौहाखानी व सीनाजनी होती हैं। रात में आयोजित मजलिस को खिताब करते हुए दिल्ली से आए मौलाना अब्बास रजा ने हजरत अब्बास की बहादुरी का दर्दनाक मंजर पेश करते हुए कहा कि हजरत अब्बास हजरत इमाम हुसैन के भतीजे व भाई हजरत अली के बेटे थे। वह बहुत बहादुर थे। हजरत अब्बास के बार-बार कहने के बावजूद हजरत इमाम हुसैन ने उन्हें जंग में जाने की इजाजत नहीं दी और कहा कि तुम हमारी कौम के अलमदार हो, तुम्हें जंग में शहीद होने की इजाजत कैसे दे सकता हूं। पहले तुम जाकर बच्चों के पानी का इंतजाम करो। उन्हें पानी भरने की मशक आदि देकर विदा किया गया। हजरत अब्बास घोड़ा दौड़ाते हुए नहरे फरात पहुंचे और पानी भरकर जब वह मशक कंधे पर लादकर अपने खेमे की ओर लौट रहे थे, तब यजीद के एक सिपाही ने धोखे से उनके हाथ पर तलवार से वार कर दिया, जिससे उनका एक हाथ कट गया। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वह दूसरे हाथ में मशक लेकर अपने खेमे की ओर बढ़ गए। तभी दूसरे सिपाही ने उनका दूसरा हाथ काट दिया और तीर मारकर मशक का पानी बहा दिया। इसके बाद यजीद की फौज ने चारों ओर से उन्हें घेरकर उन्हें शहीद कर दिया। दर्दनाक मंजर सुनकर सभी की आंखों से अश्क छलक पड़े। इसके पूर्व सुबह आठ बजे डा. ताज के इमामबाडे़ सौदागरान से हजरत कासिम का तख्त ताबूत उठाया गया जो छोटा चौराहा, मूसापुर, मंडई, पुलिस चौकी से होता हुआ वापस अपने इमामबाडे़ पहुंचा।