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आठ गांवों के लोगों की आफत में जान

-गांवों में नहीं जा पाती एंबुलेंस गर्भवती महिलाएं नहीं पहुंच पाती अस्पताल -ग्रामीण बोले हर नेता और जनप्रतिनिधि से लगा चुके गुहार नहीं हुई सुनवाई

By JagranEdited By: Published: Thu, 21 Oct 2021 10:47 PM (IST)Updated: Thu, 21 Oct 2021 10:47 PM (IST)
आठ गांवों के लोगों की आफत में जान
आठ गांवों के लोगों की आफत में जान

संडीला (हरदोई): जिम्मेदारों की अनदेखी का आठ गांवों की आबादी खमियाजा भुगत रही है। संडीला से जोड़ने वाले महामऊ से खुटेना डेढ़ किलोमीटर कच्चे मार्ग और जर्जर पुलिया से ग्रामीणों की जान तक आफत में रहती है। गांव में एंबुलेंस तक नहीं पहुंच पाती है, जिससे बीमार लोगों और गर्भवती महिलाओं को अस्पताल पहुंचाने में परेशानी होती, कई बार तो जान तक खतरे में पड़ चुकी है।

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संडीला को जोड़ने वाले महामऊ से खुटेना डेढ़ किलोमीटर संपर्क मार्ग और बेता नाले पर पुलिया न बनने से खुटेना के साथ ही गड़रियनखेड़ा, रावखेड़ा, करीमनगर, गोसाईखेड़ा, बछीटा, गरिदखेड़ा और किन्हौटी गांवों के ग्रामीण परेशानी उठा रहे हैं। चाह कर भी बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते हैं, गांव के लोगों को 16 किलोमीटर का चक्कर लगाकर संडीला जाना पड़ता है। दशकों से यह परेशानी झेल रहे ग्रामीणों की जान तक आफत में रहती है। ग्रामीणों का कहना है कि आने जाने के लिए वर्ष 2005 में किसी तरह छोटी से पुलिया बनाई थी, जोकि अब जर्जर हो चुकी है और बरसात के दिनों में उसके ऊपर से पानी बहने लगता है, जिससे ग्रामीण नहीं निकल पाते हैं और बीमारी की दशा में अस्पताल न पहुंच पाने से कई घटनाएं भी हो चुकी हैं। प्रधान हरिवंश पाल बताते हैं कि कुछ वर्ष पहले सड़क पर पानी भरा था। उनकी पत्नी सुधा को प्रसव पीड़ा होने पर अस्पताल नहीं ले जा सके थे, जिससे शिशु की गर्भ में ही मौत हो गई थी। वहीं गीता और किरन को भी उनके स्वजन अस्पताल नहीं ले जा सके थे। घर पर ही प्रसव हो गया था और काफी मुश्किल से जच्चा बच्चा की जान बचाई जा सकी थी।

गुरुप्रसाद, रामअवतार व राजकिशोर कहते हैं कि वैसे तो इस मार्ग और पुलिया की वजह से पूरे साल परेशानी होती है, लेकिन बरसात के दिनों में तो हर दिन डर ही लगता रहता है कि कहीं कोई बीमार न हो जाए और उसे अस्पताल न पहुंचा सकें। वह कहते हैं कि हर नेता और जनप्रतिनिधि से गुहार लगा चुके, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया और ग्रामीण परेशानी उठा रहे हैं।


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