निमकी मुखिया की हिम्मत ने भरा कई महिलाएं में दम
हरदोई : शराब परिवारों में कलह पैदा कर रही है। महिलाएं नशे के आदी पति के उत्पीड़
हरदोई : शराब परिवारों में कलह पैदा कर रही है। महिलाएं नशे के आदी पति के उत्पीड़न का शिकार हो रही हैं, लेकिन जब तक वह सहती रहीं उत्पीड़न होता रहा और जिन्होंने हिम्मत जुटाई उनका उत्पीड़न बंद भी हो गया। खबर में शामिल दो प्रकरण इसकी गवाही दे रहे हैं और सबसे खास बात तो यह कि इन दोनों महिलाओं ने टीवी चैनल पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक निमकी मुखिया देखकर हिम्मत जुटाई थी और दो मामले ही नहीं पुलिस काउंसि¨लग में आए दिन ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
टीवी चैनल आ रहा बिहार की पृष्ठभूमि पर बना निमकी मुखिया धारावाहिक से महिलाओं की हिम्मत बढ़ रही है। पुलिस के पास अक्सर महिला उत्पीड़न की शिकायतें आती हैं लेकिन अब ऐसे भी मामले सामने आ रहे हैं जिसमें जब पत्नी ने हिम्मत जुटाई तो पति को ही पुलिस की मदद मांगनी पड़ी। महिला थाना या पुलिस परिवार परामर्श केंद्र पर महिलाओं को बुलाकर समझाया बुझाया गया। महिलाओं ने बताया कि
बिहार की पृष्टभूमि पर बने धारावाहिक निमकी मुखिया से सबक लेकर शराब पीकर या अन्य बिना किसी कारण के परेशान करने वाले पतियों से मुकाबला किया है। निमकी मुखिया ने पति के उत्पीड़न से तंग आने वाली महिलाओं को इतना प्रेरित किया है कि उन्होंने खुद ही उत्पीड़न का जवाब दिया। इनसेट--
पुलिस रिकार्ड में दर्ज मामले दे रहे गवाही रिकार्ड की मानें तो वर्ष 2018 में करीब 850 शिकायतें आई थीं। जिसमें से 10 फीसद शिकायतें ऐसी भी आती हैं जिसमें पति मदद मांगने आते हैं। महिला थाना प्रभारी श्वेता त्रिपाठी का कहना है कि महिलाओं की मदद तो की ही जाती है, जो पति मदद मांगते हैं, उनकी पत्नी को भी समझाया जाता है। परिवार परामर्श केंद्र के सदस्यों का कहना है कि काउंसि¨लग में यह बात सामने आई कि धारावाहिक देखकर भी महिलाएं हिम्मत जुटा रही हैं।
---प्रकरण एक- कछौना थाना क्षेत्र निवासी राजेश्वरी का पति नशे में उसके साथ मारपीट करता था। राजेश्वरी पति का उत्पीड़न सहती रही, लेकिन जब तंग आ गई तो विरोध में उतर आई और एक दिन पति को उसी की भाषा में जवाब दे दिया। जवाब ऐसा दिया कि पति को ही पुलिस की मदद मांगनी पड़ी।
---प्रकरण दो: कांती का पति कुछ करता भी नहीं था। कांती मेहनत कर गृहस्थी चलाती तो फिर नशे में उसके ऊपर न केवल आरोप लगाता, बल्कि मारपीट भी करता। ब<स्हृद्द-क्तञ्जस्>चों की खातिर कांती सहती रही लेकिन एक दिन कांती ने उसे सबक सिखा ही दिया और उसे जान बचाकर कोतवाली भागना पड़ा।