आश्रम ने बेटियों को शिक्षित कर दिलाया गरिमा का अधिकार
हरदोई: आश्रम का नाम सुनते ही, जेहन में साधु-पूजन आदि न जाने कितने ²श्य आ जाते हैं लेकिन ट
हरदोई: आश्रम का नाम सुनते ही, जेहन में साधु-पूजन आदि न जाने कितने ²श्य आ जाते हैं लेकिन टड़ियावां के सिकंदरपुर स्थित सर्वोदय आश्रम में ऐसा कुछ नहीं है। आश्रम में बेटियों और महिलाओं को शिक्षा देकर उनकी जिंदगी गरिमापूर्ण बनाई जाती है। खासकर शिक्षा की धारा से दूर निर्धन और अनुसूचित जाति के परिवारों की बेटियों को शिक्षित कर गरिमा का बोध कराया जाता है।
सर्वोदय आश्रम मनुष्य की गरिमा, उसकी स्वायत्तता, उसके विकास के लिए विगत 1981 से प्रयासरत है। आश्रम की संचालिका उर्मिला श्रीवास्तव बताती हैं कि जब गरिमा पाने की बात आती है तो अधिकांश महिलाएं निचले पायदान पर आती हैं। परिवार के कर्तव्य एवं शिक्षा के अभाव के चलते वो हर क्षेत्र में योगदान देने व पाने में सक्षम होने के बाद भी सीमित क्षेत्र में कैद होकर रह जाती है। सर्वोदय आश्रम ऐसी महिलाओं के विकास के लिए, उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए निरंतर प्रयासरत है। आश्रम में 650 बालिकाएं जिसमें 95 फीसद अनुसूचित जाति की हैं और वह आवासीय शिक्षा प्राप्त कर समाज की मुख्य धारा में शामिल हो रही हैं। उड़ान कार्यक्रम तो इस मामले में क्रांतिकारी है कि जो बालिकाएं शिक्षा का सपना तक देखना बंद कर चुकी थीं उनको गावों से चुनकर एक वर्ष की आवासीय शिक्षा देकर उनको मुख्य धारा में जोड़ने का काम कर रहा है। आश्रम बालिकाओं के ही लिए नहीं बल्कि उन महिलाओं के लिए भी वरदान स्वरूप है जो अपनी निजी ¨जदगी में बहुत उजाला न पा सकीं पर अब सेवा के काम से जुड़कर दूसरों को नेतृत्व प्रदान कर रही हैं और सामान्य जन से बहुत आगे हैं।