कांग्रेस प्रत्याशी को 2014 से भी कम मिले वोट
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हरदोई: हरदोई और मिश्रिख लोक सभा क्षेत्र में कभी डंका बजाने वाली कांग्रेस का धीरे धीरे वजूद की खत्म सा होता जा रहा है। हरदोई में 1957 और मिश्रिख में 1962 के चुनाव से देंखे तो सबसे अधिक कांग्रेस के ही सांसद चुने गए। समय बदला और अन्य राजनीतिक दल मैदान में आगे आए। जनता ने उन्हें मौका भी दिया। सभी का मतदान फीसद बढ़ा लेकिन कांग्रेस का घटता गया। हद तो यह हो गई कि 2019 के चुनाव में कांग्रेस को 2014 के चुनाव से भी कम मत मिले।
1984 में किदरलाल हरदोई लोक सभा सीट से कांग्रेस के अंतिम सांसद चुने गए। उसके बाद हर चुनाव में कांग्रेस लड़ी तो लेकिन टक्कर में भी न आ सकी और हर चुनाव में धीरे धीरे कांग्रेस का वोट घटता ही गया। पिछले चुनावों में देंखे तो 2009 में कांग्रेस के शिवकुमार को 13 हजार मत मिले थे। 2014 के चुनाव में कांग्रेस के वोट बढ़े, लेकिन प्रत्याशी लड़ाई से काफी दूर रहा। कांग्रेस से चुनाव लड़े सर्वेश जनसेवा को 23 हजार 298 मत मिले। 2019 के चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र कुमार वर्मा और नीचे खिसक गए और मात्र 19 हजार 972 मतों पर ही संतोष करना पड़ा। वहीं मिश्रिख लोक सभा क्षेत्र में देंखे तो 1991 के बाद से कांग्रेस कुर्सी से दूर है। 1991 में रामलाल राही कांग्रेस से जीते थे, उसके बाद फिर कभी कांग्रेस लौटना तो दूसरे स्थान पर भी नहीं आ पाई। हर चुनाव में वोट कम ही होते गए। 2009 में कांग्रेस के ओमप्रकाश रावत ने जरूर एक लाख 25 हजार 862 मत हासिल किए थे। हालांकि 2014 के चुनाव में वह काफी नीचे पहुंच गए और उन्हें 33 हजार 75 मतों पर ही संतोष करना पड़ा। अब 2019 के चुनाव में कांग्रेस की स्थिति बहुत ही ज्यादा खराब हो गई। कांग्रेस से कई बार सांसद और केंद्रीय मंत्री रहे रामलाल राही की बहू मंजरी राही मात्र 26 हजार 505 मत ही हासिल कर सकीं।
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