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मुद्रा लोन योजना ने बदल दी जिदगी

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By JagranEdited By: Published: Sun, 17 Mar 2019 11:04 PM (IST)Updated: Sun, 17 Mar 2019 11:04 PM (IST)
मुद्रा लोन योजना ने बदल दी जिदगी
मुद्रा लोन योजना ने बदल दी जिदगी

नजीर एक : सकाहा निवासी घनश्याम गुप्ता के पास रोजगार नहीं था। एक साल पहले उन्होंने प्रधानमंत्री मुद्रा लोन योजना में तीन लाख रुपये लेकर किराने की दुकान खोली, अब वह तरक्की कर रहे हैं। सकाहा के ही हेमनाथ ने कपड़े की दुकान के लिए लोन लिया था, धीरे धीरे वह व्यापारी की श्रेणी में आ गए हैं। नजीर दो: बेहटाधीरा निवासी सूर्य प्रकाश राठौर ने साढ़े सात लाख रुपये लोन लिया था। जिसमें किराने की दुकान खोली और सरसों के तेल का काम शुरू किया। अब वह कंपनी से सीधे सरसों का तेल लेकर आपूर्ति करते हैं। उनके गांव के ही संजीव गुप्ता ने तो लोन लेकर आढ़त खोली। साढ़े तीन लाख रुपये से आढ़त खोली अब वह बड़ा काम करने लगे हैं। जागरण संवाददाता, हरदोई: मुद्रा लोन योजना ने जिदगी बदल दी। जो परिवार पर बोझ थे, अब वह परिवार का सहारा बन गए हैं। जिनका खाली समय नहीं कट रहा था, अब वह दूसरों को समय के सदुपयोग की सीख दे रहे हैं। खबर में शामिल दो बानगी केवल समझाने के लिए हैं। एक अप्रैल 2018 से देखा जाए तो जिले में कुल 7846 व्यक्तियों को 18146 लाख का लाभ मिल चुका है। जिसकी मदद से वह रोजगार कर रहे हैं।

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सरकार की योजनाओं का लोगों को फायदा मिले तो जिदगी बदल जाती है। केंद्र सरकार की अन्य ऐसी योजनाओं में मुद्रा लोन योजना भी शामिल है। बिना किसी गारंटी से मिलने वाले लोन से सहारा मिल रहा है। मुद्रा लोन योजना में देखा जाए तो शिशु योजना में 50 हजार तक, तरुण योजना में 51 हजार से पांच लाख तक और किशोर योजना में पांच लाख से ऊपर का लोन मिलता है। वर्ष 2015 से शुरू हुई इस खास योजना का प्रचार प्रसार हुआ तो लोगों ने लाभ लेना भी शुरू कर दिया और सात हजार 843 लोग इसका लाभ ले चुके हैं। बैंक अधिकारियों का कहना है कि यह संख्या और अधिक है, वित्तीय वर्ष समाप्त होते होते रिकार्ड बन जाएगा। योजना पर एक नजर

शिशु योजना

कुल लाभार्थी- 4455

कुल लाभ- 3982 लाख किशोर योजना

कुल लाभार्थी- 2430

कुल लाभ- 6117 लाख तरुण योजना

कुल लाभार्थी- 958

कुल लाभ- 8047 लाख बैंकों की मनमानी योजना पर लगा रही पलीता

मुद्रा लोन योजना सरकार की अति महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन कुछ बैंकों की मनमानी और बिचौलियों की साठगांठ योजना को पलीता लगा रही है। एक दो नहीं सैकड़ों ऐसे लोग हैं जो लाभ लेने के लिए दर दर भटक रहे हैं। बैंकों से उन्हें टरकाया जाता है और तो और लोन की धनराशि के हिसाब से फीसद तय होता, बिना कमीशन दिए काम नहीं होता। न जाने शासन से लेकर अधिकारियों तक कितनी शिकायतें हो चुकीं लेकिन मनमानी में सुधार नहीं हुआ।


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