अशिक्षा के अंधेरे में 19 हजार किशोरियों का जीवन
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हरदोई: बेटियों को पढ़ाने और आगे बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है, पर अभी भी सैकड़ों बेटियां विद्यालयों से दूर हैं। शिक्षा विभाग हर बेटी को विद्यालय भेजने का दावा कर रहा है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में 19 हजार से अधिक बेटियां ऐसी मिली हैं, जो विद्यालय नहीं जाती हैं। कुपोषण के लिए चलाए जा रहे अभियान में उन्हें घर जाकर आयरन की गोलियां खिलाई गई हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग हाउस होल्ड सर्वे में आउट ऑफ स्कूल बच्चों को खोजकर उनका विद्यालयों में प्रवेश कराता है। पूर्व में सर्वे के नाम पर खानापूर्ति होती थी और जिले में डेढ़ सौ से भी कम बच्चे आउट ऑफ स्कूल बताए जाते थे, हालांकि शारदा एप से सर्वे में स्कूल न जाने वाले बच्चों की संख्या बढ़कर दो हजार से अधिक हो गई थी लेकिन उनमें से अधिकांश को किसी न किसी तरह से विद्यालय पहुंचा दिया गया। स्वास्थ्य विभाग के अभियान में दिसंबर 2019 तक 19 हजार 813 किशोरियां ऐसी मिलीं जोकि विद्यालय नहीं जातीं।
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भरखनी में सर्वाधिक, कछौना में सबसे कम
स्कूल न जाने वाली 19 हजार 813 किशोरियों में सबसे ज्यादा भरखनी में 2210 मिली हैं। बेंहदर में 2100, कोथावां में 1815, बिलग्राम में 1632, पिहानी में 1392, संडीला में 1268 किशोरियां मिली हैं। जबकि सबसे कम हरपालपुर में 404, हरियावां में 410 टड़ियावां में 420 मिली हैं। वहीं, बाल विकास पुष्टाहार विभाग के आंकड़ों के अनुसार 8550 ऐसी किशोरियां हैं, जो स्कूल नहीं जातीं।
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बेसिक शिक्षा विभाग छह से 14 साल तक के बच्चों को स्कूल पहुंचाने का अभियान चलाता है। जिसमें हर बच्चे का प्रवेश कराया जाता है। स्वास्थ्य विभाग को जो किशोरियां मिली हैं हो सकता है कि उनकी आयु 14 वर्ष से ऊपर हो।
-हेमंतराव, बीएसए