आवारा आतंक से रहें खबरदार
हरदोई रेबीज विषाणु जनित बीमारी है। इसका मानव के मस्तिष्क पर सीधा असर होता है और यह जानलेवा साबित होता है। कुत्ता बंदर और बिल्ली के काटने एवं पंजा मारने को हल्के में न लें।
हरदोई : रेबीज विषाणु जनित बीमारी है। इसका मानव के मस्तिष्क पर सीधा असर होता है और यह जानलेवा साबित होता है। कुत्ता, बंदर और बिल्ली के काटने एवं पंजा मारने को हल्के में न लें। पीड़ित को त्वरित उपचार और एंटीबायोटिक दवाएं चिकित्सक की सलाह से दी जानी चाहिए।
रेबीज खतरनाक है। इससे बचने के लिए कुत्ता, बिल्ली, बंदर एवं अन्य जानवर के काटने एवं पंजा मारने पर लापरवाही कतई न बरतें। जरा सा भी निशान पड़ गया है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए। लोगों में धारणा है कि कुत्ता काटने से ही रेबीज होता है, जबकि ऐसा नहीं है। कुछ एक बार तो व्यक्ति के कटे अंग पर पालतू जानवर के चाटने से भी रेबीज की आशंका रहती है। आवारा आतंक से बचने के लिए व्यक्ति को स्वयं ही सावधानी बरतनी चाहिए। रेबीज के मनुष्य की रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क को संक्रमित करते हैं। संक्रमण के बाद ही लक्षण दिखाई देते हैं।
क्या है रेबीज: सीवीओ डॉ. जेएन पांडेय का कहना है कि रेबीज लायसा वायरस के कारण होने वाला एक वायरल इंफेक्शन है। संक्रमित जानवरों की लार से मनुष्य के खून से सीधे संपर्क में आने पर यह व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाता है। लक्षण काफी दिनों बाद नजर आते हैं। समय से उपचार न होने से यह घातक साबित होता है। पालूत कुत्ता का इस तरह कराएं वैक्सीनेशन : सीवीओ डॉ. जेएन पांडेय का कहना है कि पालूत कुत्ता को आठ हफ्ते की उम्र में वैक्सीन लगाई जाती है। यह वैक्सीन पालतू पशु को के-नाइन एडिनोवायरस टाइप-टू से बचाता है। बाहरवें सप्ताह में एंटीरेबीज वैक्सीन लगता है, जो उसे रेबीज से बचाता है। सोलह सप्ताह की आयु पर केनल कफ वैक्सीन दी जाती है। काटने एवं पंजा मारने पर बचाव को यह करें उपाय : डॉ. जेएन पांडेय का कहना है कि जानवर के काटने एवं पंजा मारने पर प्रभावित स्थान पर नल के पानी की तेज धार में साबुन से 10-15 मिनट तक धोएं। 72 घंटे के अंदर टिटनेस का टीका, एंटी रेबीज वैक्सीन लगवाएं। घाव पर पट्टी व टांका न लगवाएं।
20-25 आते हैं प्रतिदिन मामले : जिला चिकित्सालय के सीएमएस डॉ. एके शाक्य का कहना है कि जानवरों के काटने के प्रतिदिन 20-25 मामले आते हैं। सोमवार को यह संख्या 40-50 तक संख्या पहुंच जाती है। पीड़ित की स्थिति के अनुसार एंटी रेबीज और टिटनेस का टीका दिया जाता है। चिकित्सालय में एंटी रेबीज वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता है।