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एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल से दो बच्चों की मौत

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By JagranEdited By: Published: Tue, 24 Sep 2019 09:41 PM (IST)Updated: Tue, 24 Sep 2019 09:41 PM (IST)
एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल से दो बच्चों की मौत
एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल से दो बच्चों की मौत

हरदोई : एंबुलेंस कर्मचारियों की हड़ताल ने दो बच्चों की जान ले ली। एंबुलेंस न मिलने के कारण अस्पताल देर से पहुंचे दो बच्चों ने इलाज के दौरान दम तोड़ दिया। वहीं तीमारदार मरीजों को ठेलिया, ई-रिक्शा, बुग्गी और टेंपो से लेकर अस्पताल पहुंचे। सबसे अधिक समस्या गर्भवती महिलाओं को उठानी पड़ी।

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बेहटागोकुल थाना क्षेत्र के जमालपुर निवासी उमाशंकर दिव्यांग हैं। उन्होंने बताया कि उनके 12 वर्षीय पुत्र नितिन की कई दिनों से तबीयत खराब थी। जिसका इलाज भी चल रहा था। सोमवार की शाम उसकी तबीयत खराब हुई तो उन्होंने 108 एंबुलेंस को फोन मिलाया। कई घंटे तक फोन मिलाने के बाद फोन रिसीव होने पर उन्होंने एंबुलेंस ईएमटी से बात कराई तो हड़ताल की बात बताई गई, लेकिन इमरजेंसी में व्यवस्था करने को कहा। मंगलवार सुबह आठ बजे टेंपो से पुत्र को लेकर जिला अस्पताल पहुंचे, जहा इलाज के दौरान नितिन ने दम तोड़ दिया।

वहीं टड़ियावां क्षेत्र के ग्राम करौदी निवासी जगरूप के एक वर्षीय पुत्र आयुष की तबीयत मंगलवार की सुबह खराब हुई। पिता ने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन काफी देर तक एंबुलेंस नहीं आई। जिसके बाद जगरूप पुत्र को लेकर ई-रिक्शा से अस्पताल पहुंचे। जहां एक घंटे तक डॉक्टर उसके इलाज में लगे रहे, लेकिन बच्चे ने दम तोड़ दिया। एंबुलेंस की हड़ताल न होती तो समय से दोनों बच्चे अस्पताल पहुंच जाते और उनका इलाज हो जाता।

बेटे की मौत के बाद भड़का पिता : नितिन की मौत के बाद पिता उमाशंकर भड़क गए। उन्होंने एंबुलेंस के साथ ही बच्चों के डॉक्टर पर भी लापरवाही का आरोप लगाया। उमाशंकर का कहना था कि दो घंटे तक ओपीडी में डॉक्टर साहब को दिखाने के लिए बैठे रहे, लेकिन डॉक्टर नहीं मिले, इसके बाद इमरजेंसी कक्ष में भर्ती कराया, और उसकी मौत हो गई।

ठेलिया से मरीज को लेकर पहुंचे अस्पताल : ग्राम कसरावां निवासी कलक्टर सांस की बीमारी से ग्रसित हैं। मंगलवार को हालत खराब होने पर भतीजे नीरू ने एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। जिसके बाद गांव में एक व्यक्ति की ठेलिया लेकर आठ किलोमीटर अस्पताल पहुंचा और उन्हें भर्ती कराया।

प्रसूताओं और गर्भवती महिलाओं को हुई दिक्कतें : घायलों के साथ ही प्रसूताओं और गर्भवती महिलाओं को सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सभी को ई-रिक्शा, आटो तो ग्रामीण क्षेत्र में बुग्गी और बैलगाड़ी का सहारा लेना पड़ा। कछौना क्षेत्र के कामीपुर निवासी फिरोज गर्भवती पत्नी शबनम बानो को ई-रिक्शा से लेकर स्वास्थ्य केंद्र पर पहुंचे। ऐसा ही हाल पूरे जिले के ग्रामीण क्षेत्रों का रहा। जहां मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ा।

प्राइवेट वाहन से मरीज लखनऊ हुए रवाना: जिला अस्पताल में भर्ती चांदबेहटा इंद्रानगर निवासी रामशंकर और ग्राम भोराह निवासी संध्या की हालत गंभीर होने पर डॉक्टर ने लखनऊ रेफर कर दिया। जिसके बाद तीमारदार उन्हें प्राइवेट वाहन से लेकर लखनऊ के लिए रवाना हुए।


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