सियासत के शोर में डूब गई संडीला को जिला बनाने की मांग
बाद में गिरधारी लाल गुप्ता के संय
संडीला: संडीला को जिला बनाने की मांग पुरानी है। 1976 से यह मांग चल रही है। प्रदेश में कई नए जिले बन भी गए पर संडीला को इंतजार ही है। सियासत ने कभी ध्यान नहीं दिया और संडीला को जिला बनाने की मांग पूरी नहीं हो सकी। इसे जिला बनाने की मांग को लेकर संघर्ष भी होता रहा पर नतीजा कोई नहीं निकला। लोगों का कहना है कि चुनावी संग्राम चल रहा है लेकिन इसकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा।
संडीला की जिला मुख्यालय से दूरी 56 किलोमीटर है। जबकि इतनी ही दूरी संडीला से लखनऊ की है। तहसील क्षेत्र के कई गांव जिला मुख्यालय से तकरीबन 90 किलोमीटर की दूरी पर है। जिला न बनने के कारण संडीला का वह विकास भी नहीं हो पाया जो होना चाहिए था। संडीला को जनपद बनाने की मांग 1976 में शुरू हुई थी लेकिन इस मांग में प्रबुद्ध लोगों के न जुड़ने के कारण यह आन्दोलन परवान नहीं चढ़ सका।
1995 में शैलेश अग्निहोत्री को आन्दोलन की बागडोर सौंपी गई तो उन्होंने आन्दोलन को और अधिक धार देते हुए लखनऊ के जीपीओ पार्क में धरना दिया और राजभवन तक पैदल मार्च किया। इसके बाद से लगातार भूख हडताल, धरना प्रदर्शन, रोड जाम, संडीला बंद, जैसे आन्दोलन चलते रहे लेकिन संडीला को जिला नहीं बनाया गया। वह कहते हैं कि बहुत पहले संडीला को जिला बनाने की कार्यवाही पूरी हो चुकी थी। परिसीमन की कार्यवाही भी की गई थी जिसमें लखनऊ का कुछ क्षेत्र और उन्नाव की कुछ ग्राम पंचायत संडीला में जोड़े जाने का निर्णय हुआ था। लेकिन जनप्रतिनिधियों के रुचि न लेने के कारण ऐसा नहीं हो सका।
आशीष सिंह ने कहा कि संडीला के जिला सृजित होने पर नागरिक सुविधाओं में इजाफा होगा । कर्मचारियों के गृह भत्ते सहित अन्य भत्तों में वृद्धि होगी तथा आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों का विकास होगा। इन्दपाल सिंह बोले जब तक संडीला को जिला घोषित नहीं किया जायेगा। तबतक क्षेत्र का समुचित विकास सम्भव नहीं है। वे कहते हैं कि तहसील मुख्यालय से इस क्षेत्र में आने वाले गांवों की दूरी 35 किलोमीटर से अधिक नहीं होना चाहिए। जितेन्द्र कुमार गुप्ता का कहना है कि राजनेताओं के रुचि न लेने के कारण संडीला जनपद नहीं बन सका। क्षेत्रीय जनता ने हर पार्टी के नेता से संडीला को जिला बनाने में सहयोग करने की मांग की थी। राजीव कुमार अस्थाना के अनुसार प्रदेश की सबसे पुरानी पांच तहसीलों में एक है। भौगोलिक स्थिति को देखते हुए जिला बनाना आवश्यक है।