आबादी के बीच चल रहा आतिशबाजी का कारोबार
द्घद्बह्मद्ग ष्ह्मड्डष्द्मद्गह्म द्घद्बह्मद्ग ष्ह्मड्डष्द्मद्गह्म द्घद्बह्मद्ग ष्ह्मड्डष्द्मद्गह्म
हरदोई : बेनीगंज के प्रतापनगर चौराहा पर हुई घटना हो या फिर सांडी के मुहल्ला खिड़किया। आतिशबाजी के भंडार में हुए विस्फोट ने हिलाकर रख दिया था। अब विस्फोट हो गया तो हड़कंप मच गया, नहीं तो न जाने कब से बारूद के ढेर थे। यही नहीं जिले के कई कस्बों यहां तक कि शहर के कुछ स्थानों पर भी आबादी के बीच आतिशबाजी का भंडार रहता है। जब घटना हो जाती तो पता चलता नहीं तो वह सिस्टम की लापरवाही का फायदा उठाते हुए धड़ल्ले से लोगों की जान से खेल रहे हैं। हरदोई के आसपास सीतापुर हो चाहें कन्नौज कई स्थानों पर बड़े विस्फोट हो चुके हैं लेकिन जिले में अभी भी सिस्टम सो रहा है।
जिले में पटाखों के निर्माण के लिए केवल नौ लाइसेंस हैं। केवल इन्हें ही पटाखे बनाने की इजाजत है, लेकिन जानकर हैरानी होगी कि जिले में 50 से अधिक घरों में पटाखों का निर्माण होता है, जबकि सांडी और शाहाबाद दर्जनों घरों में यह कारोबार जारी है। प्रशासन इस ओर बेखबर है, जबकि हर बार दीपावली के आसपास क्षेत्र में कोई न कोई दुर्घटना होती रहती है। पिछले कई वर्षो का रिकार्ड खंगाला जाए तो हर बार ऐसी ही स्थिति रहती है। ऐसी घटनाओं में कई मौत भी हो चुकी हैं, लेकिन इन सब बातों से प्रशासन कभी सबक नहीं लेता है। ये हैं पटाखा बनाने के गढ़ : जिले के सांडी, बिलग्राम, शाहाबाद, टड़ियावां, गोपामऊ, संडीला समेत कई कस्बों के मुहल्लों में जमकर आतिशबाजी बनाने का काम चोरी से होता है। जिनकी जानकारी क्षेत्रीय पुलिस को है, लेकिन सांठगांठ के चलते कोई कार्रवाई नहीं होती है और जब हादसा हो जाता है तो फिर आरोपित को बचाने का भी प्रयास किया जाता है। खुफिया निगाहें भी न तलाश पा रहीं आतिशबाज
आबादी के बीच बारूद के खेल पर पुलिस मुख्यालय से इंटेलीजेंस से भी नजर रखने के आदेश हैं, कहने को तो खुफिया तंत्र मजबूत है लेकिन जिले में एक भी स्थान पर अवैध रूप से बन रही आतिशबाजी को नहीं तलाश सके हैं। बोले जिम्मेदार.
पुलिस अधीक्षक आलोक प्रियदर्शी ने बताया कि जांच अभियान चल रहा है। दुकानों की तो जांच हो ही रही है, मुखबिरों को भी लगाया गया है। आबादी के बीच भंडार या बिना लाइसेंस आतिशबाजी की बिक्री करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।