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जिले में बंदी की मौत में जेल कर्मियों ने किया गुमराह

माधौगंज थाना क्षेत्र के देवियापुर निवासी बंदी सुरेंद्र का सोमवार की रात जेल की बैरक संख्या आठ के शौचालय में शव मिला था। शव औंधे मुंह पड़ा था, पास में अंगौछा रखा था, पहले मामला मोड़ ले रहा था, लेकिन पोस्टमार्टम में फांसी से मौत की पुष्टि हुई तो पूरा मामला ही घूम गया। यानी कि सुरेंद्र के शव को फँदे से उतार कर नीचे डाला गया था। जेल प्रशासन भी इसे मान रहा है। जेल अधीक्षक ब्रजेंद्र कुमार ¨सह ने बुधवार को बैरक की जांच की। उन्होंने बैरक में मौजूद बंदियों समेत सुरक्षा में लगे कर्मियों से बयान लिए। जेल अधीक्षक ने बताया कि गहराई से जांच हो रही है, उन्होंने माना कि कर्मचारियों ने गुमराह करने का प्रयास किया लेकिन पूरी जांच के बाद ही स्थिति साफ होगी। जांच की आख्या राष्ट्रीय मानवाधिकार, राज्य मानवाधिकार आयोग के साथ ही शासन, प्रशासन और कारागार निदेशालय आदि को भेजी जाएगी।

By JagranEdited By: Published: Wed, 20 Feb 2019 11:14 PM (IST)Updated: Wed, 20 Feb 2019 11:14 PM (IST)
जिले में बंदी की मौत में जेल कर्मियों ने किया गुमराह
जिले में बंदी की मौत में जेल कर्मियों ने किया गुमराह

हरदोई: जिला कारागार में बंदी के फांसी लगाकर जान देने के मामले में जेल कर्मियों ने पूरी तरह से गुमराह किया। शौचालय में ही उसने फांसी लगाकर जान दी थी लेकिन शव को फंदे से उतारकर शौचालय में डाल दिया गया। बुधवार को जेल अधीक्षक ने बैरक के बंदियों के साथ ही बंदी रक्षकों आदि के बयान दर्ज किए। पूरे मामले की गहराई से जांच हो रही है और राज्य व राष्ट्रीय मानवाधिकार से लेकर शासन तक पूरी आख्या भेजी जाएगी।

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माधौगंज थाना क्षेत्र के देवियापुर निवासी बंदी सुरेंद्र का सोमवार की रात जेल की बैरक संख्या आठ के शौचालय में शव मिला था। शव औंधे मुंह पड़ा था, पास में अंगोछा रखा था, पहले मामला मोड़ ले रहा था, लेकिन पोस्टमार्टम में फांसी से मौत की पुष्टि हुई तो पूरा मामला ही घूम गया। यानी कि सुरेंद्र के शव को फंदे से उतार कर नीचे डाला गया था। जेल प्रशासन भी इसे मान रहा है। जेल अधीक्षक ब्रजेंद्र कुमार ¨सह ने बुधवार को बैरक की जांच की। उन्होंने बैरक में बंदियों समेत सुरक्षा में लगे कर्मियों से बयान लिए। जेल अधीक्षक ने बताया कि गहराई से जांच हो रही है, उन्होंने माना कि कर्मचारियों ने गुमराह करने का प्रयास किया लेकिन पूरी जांच के बाद ही स्थिति साफ होगी। जांच की आख्या राष्ट्रीय मानवाधिकार, राज्य मानवाधिकार आयोग के साथ ही शासन, प्रशासन और कारागार निदेशालय आदि को भेजी जाएगी।


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