प्रह्रलाद की भक्ति देख भावुक हुए श्रद्धालु
स्त्रद्ब2ड्डद्यद्ब ष्द्गद्यद्गढ्डह्मड्डह्लद्बश्रठ्ठ स्त्रद्ब2ड्डद्यद्ब ष्द्गद्यद्गढ्डह्मड्डह्लद्बश्रठ्ठ स्त्रद्ब2ड्डद्यद्ब ष्द्गद्यद्गढ्डह्मड्डह्लद्बश्रठ्ठ
मल्लावां : मझगांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा में हिरण्यकश्यप वध और प्रह्लाद की भक्ति का प्रसंग सुन श्रोता भावुक हो गए।
पंचायत भवन मझगांव में प्रधान अरविद वर्मा की ओर से श्रीमद्भागवत कथा कराई जा रही है। भागवत कथा में कथा वाचक पं. संदीप कृष्ण भारद्वाज ने कहा कि हिरण्यकश्यप अपने भाई की मौत का बदला भगवान विष्णु से लेने के लिए ब्रह्मा की तपस्या का निर्णय लिया। वह एक वट के नीचे बैठ गया, जहां देव गुरु वृहस्पति तोता का रूप धारण कर वृक्ष पर बैठ गए और नारायण नाम का रट लगाने लगे। इससे परेशान होकर हिरण्यकश्यप तपस्या छोड़कर घर आ गया। पत्नी ने पूछा कि आप तपस्या छोड़कर क्यों चले आए तो तोता की बात बताई। इसके बाद उसकी पत्नी ने भी भगवान के नाम का जप किया। जिससे उसका गर्भ ठहर गया और बालक का जन्म हुआ। जिसका नाम प्रह्रलाद रखा गया। प्रह्रलाद शिक्षा ग्रहण करने गुरुकुल चले गए। और जब प्रह्रलाद गुरुकुल से घर आए तो हिरण्यकश्यप ने पूछा कि क्या शिक्षा ग्रहण किए हो। प्रह्रलाद भगवान का गुणगान करने लगे। इससे हिरण्यकश्यप क्रोधित हो उठा और कहा कि तुम मेरे शत्रु का गुणगान कर रहे हो लेकिन प्रहलाद ने भगवान की आराधना नहीं छोड़ी। हिरण्यकश्यप प्रह्रलाद पर अत्याचार करता रहा, लेकिन प्रह्रलाद को भगवान बचाते रहे। एक दिन हिरण्यकश्यप ने प्रह्रलाद से कहा कि तुम्हारे भगवान कहां हैं। प्रह्रलाद ने जवाब दिया कि कण-कण में हैं और इस खंभे में भी हैं। इतना सुनते ही हिरण्यकश्यप ने तलवार निकाल कर खंभे पर वार कर दिया। तब नरसिंह के रूप में भगवान प्रकट होकर हिरण्यकश्यप का वध कर देते हैं। इस प्रकार, भगवान पापी का वधकर भक्तों का मान रखते हैं। इसके पूर्व, मुख्य यजमान गयाबख्श सिंह ने कथावाचक का माल्यार्पण कर स्वागत किया। इस मौके पर अरविद वर्मा प्रधान, कमलेश, रामप्रसाद, उपस्थित रहे।