दिवाली को लेकर घर से बाहर तक उत्साह और उमंग
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हरदोई : दिवाली को लेकर उत्साह है। घरों से लेकर बाहर तक दिवाली का रंग ही दिख रहा है। रविवार को दिवाली को लेकर शनिवार को बाजार में भारी भीड़ रही। लोगों ने जमकर खरीददारी की। लोगों ने पूजन सामग्री के साथ साथ अन्य सामग्री की खरीदारी की।
दिवाली में पूजन के लिए शकर के खिलौने, लावा, चूरा, गणेश लक्ष्मी, सजावट वाली बिजली की झालर व फैंसी कैंडल आदि की शनिवार को खरीदारी की गई। दिवाली, प्रतिपदा व भाई दूज में चावल के बने लावा, शकर के बने खिलौने, चूरा की आवश्यकता पूजन में होती है। इसलिए सिनेमा रोड सहित सभी प्रमुख मार्गो व बाजारों में दुकानें सजी थी। लोगों ने बाजार में जाकर खरीददारी की।
मां लक्ष्मी की चुनरी व गणेश के वस्त्रों की हुई बिक्री : दिवाली पर गणेश लक्ष्मी की पूजा का विशेष रिवाज है। हर व्यक्ति पूरे विधि विधान से गणेश लक्ष्मी पूजन करना चाहता है। इसलिए दिवाली पर पूजन सामग्री की दुकानें की खूब लगी। इन दुकानों पर मां लक्ष्मी चुनरी, गणेश के वस्त्र, आसन, सिंहासन के अलावा आर्टीफिशियल फ्लावर भी खूब बिके।
गणेश-लक्ष्मी की मूर्तियों की हुई बिक्री : बाजार में गणेश-लक्ष्मी की बड़ी मूर्तियों का सेट तो तीन से चार हजार रुपये में बिके। जबकि छोटी मूर्तियों के वस्त्रों का सेट 50 रुपये से 500 रुपये तक में था। इसी प्रकार आर्टी फिशियल माला आदि की भी बिक्री होती रही।
खील-खिलौनों की हुई बिक्री : दिवाली में खील व शकर के खिलौनों का विशेष महत्व होता है। इसलिए इन दुकानों पर खरीदारी के लिए महिलाओं की अधिक भीड़ नजर आई। विभिन्न डिजाइनों के शकर के खिलौनों को खरीदने वालों की संख्या काफी रही। कहीं-कहीं सफेद तो कहीं रंगीन खिलौने भी बिकते नजर आए।
गृहस्थी भी खूब खरीदी गई : दिवाली पर गणेश लक्ष्मी की मूर्तियों के साथ मिट्टी की बनी गृहस्थी भी बिकती है। इसमें चूल्हा, कढ़ाई, बेलन, चौकी , चमचा, भगौना, आदि सभी बर्तन मिट्टी के बने होते हैं। इनको भी पूजा में रखा जाता है। बताते के यह समृद्धि का प्रतीक होता है।इसकी कीमत मात्र 30 रुपये प्रति गृहस्थी है। इसकी बिक्री भी खूब हुई।
छोटी दीपावली पर यम का दीप जलाकर पापों से मांगी मुक्ति : छोटी दीपावली पर यम का दीप जलाकर लोगों ने पाप को दूर भगाने की कामना की। लोगों ने मंत्र का जाप किया। नए वस्त्र पहन कर यम का पूजन किया। लोगों ने अपने-अपने घरों व प्रतिष्ठानों की साफ-सफाई की। पुरानी झाडू को बाहर निकाल कर नई झाडू का प्रयोग किया गया। इसके अलावा शाम को यम के नाम का दीपक जलाया गया।