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30 सालों से 10 रुपये प्रति क्विंटल कुटाई से नाराज हैं राइस मिलर्स

हरदोई : उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन ने सरकारी गलत पॉलिसी, खर्चा-लागत न आने से सरकार

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 11:57 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 11:57 PM (IST)
30 सालों से 10 रुपये प्रति क्विंटल कुटाई से नाराज हैं राइस मिलर्स
30 सालों से 10 रुपये प्रति क्विंटल कुटाई से नाराज हैं राइस मिलर्स

हरदोई : उत्तर प्रदेश राइस मिलर्स एसोसिएशन ने सरकारी गलत पॉलिसी, खर्चा-लागत न आने से सरकारी धान कुटाई से हाथ खड़े कर दिए हैं।

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सरकारी धान खरीद शुरू होने के बाद अब तक न के बराबर खरीदारी होने एवं मिलर्स की ओर से अनुबंध न कराए जाने के संबंध में यूपी राइस मिलर्स एसोसिएशन के संरक्षक राकेश अग्रवाल ने जागरण को बताया कि सरकारी पॉलिसी में क्रय केंद्र पर खरीदे गए धान की आपूर्ति मिलर्स को दी जाएगी और उसके सापेक्ष 67 फीसद चावल रिकवरी (कस्टम मि¨लग राइस) की अनिवार्यता की गई है, जबकि क्रय केंद्रों पर खरीदे गए धान की कुटाई में टूटन का फीसद अधिक रहता है और ऐसे में रिकवरी का परता नहीं आता है।

उन्होंने कहा कि मिलर्स सरकारी धान कुटाई नहीं कराएंगे। 30 सालों से सरकारी 10 रुपये प्रति क्विंटल ही कुटाई दे रही है, जबकि 3 दशक में मजदूरी, बिजली बिल एवं अन्य संसाधनों से जुड़े खर्च कई गुना बढ़े हैं और वहीं सरकार ने मिलर्स के अनुबंध की प्रतिभूति राशि भी बढ़ा दी है। ऐसे में मिलर्स सरकारी क्रय केंद्र के धान को कुटाई के लिए लेंगे ही नहीं।

गलत पॉलिसी से ही बंद हो रहे राइस मिल : एसोसिएशन के संरक्षक राकेश अग्रवाल का कहना है कि सरकार की गलत पॉलिसी के कारण ही राइस मिल तेजी से बंदी की ओर बढ़ रहे हैं। वह कहते हैं जिले में कभी राइस मिलों की संख्या 150 से पार थी, वह आज 35-40 पर सिमट गई है।

कुटाई 150-200 रुपये प्रति क्विंटल की जाए : प्रवीण अग्रवाल का कहना है कि 30 साल से 10 रुपये प्रति क्विंटल कुटाई को महंगाई के ²ष्टिगत कम से कम 150-200 रुपये किया जाना चाहिए। ताकि मिलर्स की बिजली, लेबर एवं अन्य खर्चे तो निकल सके।


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